कश्मीर के किसानों को प्यासा मार कर हमारी 6 नदियों का पानी ना-पाक देश को क्यों दिया जा रहा है? समीक्षा बैठक में हो सख्त फैसला।

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कश्मीर के किसानों को प्यासा मार कर हमारी 6 नदियों का पानी ना-पाक देश को क्यों दिया जा रहा है? समीक्षा बैठक में हो सख्त फैसला।
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26 सितम्बर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा की गई। सब जानते है कि समीक्षा बैठक का उद्देश्य क्या है, लेकिन यह सवाल तो उठता ही है कि जब हमारे जम्मू-कश्मीर प्रांत के किसानों को खेती के लिए जल का अभाव है तो फिर पाकिस्तान को हमारी छह नदियों का पानी क्यों दिया जा रहा है? ऐसा समझौता चीन ने हेग नदी पर कर रखा है लेकिन चीन ने कभी भी समझौते की पालना नहीं की। सारे अन्तर्राष्ट्रीय दबावों को हटाते हुए चीन ने हेग नदी से पानी देना बंद कर रखा है। केन्द्र सरकार को भी चाहिए कि दबावों की परवाह किए बगैर नदियों का पानी पाकिस्तान को देना बंद कर दे। आज पाकिस्तान कश्मीर में जिस तरह आंतकवाद फैला रहा है, उसका जवाब सिंधु जल समझौते का तोड़ कर दिया जा सकता है। ऐसा नहीं हो सकता कि पाकिस्तान से आए आंतकवादी हमारे जवानों का लगातार शहीद करते रहें और हम उन्हीं आतंकवादियों को पालने-पोसने वालों को पानी पिलाते रहे। आज जम्मू कश्मीर में ही नहीं देश के अन्य प्रांतों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सरकार की मंशा जब देश भर की नदियों को आपस में जोडऩे की है तो फिर हमें सिंधु नदी से पाकिस्तान को पानी नहीं देना चाहिए। शायद पूरी दुनियां में भारत देश होगा जो खुद प्यासा रहकर दुश्मन देश को पानी पिला रहा है। जिन पांच नदियों का पानी इस ना-पाक को दे रहे हैं,उनमें व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चेनाब और झेलम है।

(एस.पी. मित्तल) (26-09-2016)
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