जो दिखाया वो नहीं किया, जो नहीं दिखाया वो किया नरेन्द्र मोदी ने। पहली बार हुआ है पाकिस्तान पर चौतरफा हमला।
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उरी की घटना के बाद सरकार ने पाकिस्तान को घेरने के लिए पानी रोकने, व्यापार कम करने आदि विकल्पों का खूब प्रचार-प्रसार किया, तब किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि पीओके में सैनिक कार्यवाही भी हो सकती है। बल्कि यह समझा जा रहा था कि सैनिक कार्यवाही को टालने के लिये ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पानी, व्यापार आदि के विकल्प तलाश रहे हैं, लेकिन 29 सितम्बर को सूरज उगने से पहले-पहले भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर जो बड़ी कार्यवाही की, उससे साफ हो गया है कि नरेन्द्र मोदी ने जो नहीं दिखाया, उसे ही कर दिया। भारत ने पाकिस्तान पर जो चौतरफा हमला किया, उसमें अब पाकिस्तान की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि वह पीओके पर हुए हमले से ही इंकार कर रहा है। हमारी सेना के अधिकारी और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि सेना ने पीओके पर हमला कर आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कितने आंतकी मरे, इसकी गिनती अब पाकिस्तान बताएगा। उम्मीद तो यही थी कि पाकिस्तान बौखलाहट भरा जवाब देगा, लेकिन उस समय आश्चर्य हुआ जब पाकिस्तान ने पीओके में किसी हमले से ही इंकार कर दिया। शायद पाकिस्तान यह दर्शाना नहीं चाहता है कि पीओके में आतंकियों के कोई ट्रेनिंग सेन्टर चल रहे हैं। भारतीय सेना की अचानक हुई कार्यवाही से अब उन आतंकी नेताओं को भी सबक लेना चाहिए जो पाकिस्तान में बैठकर भारत की एकता और अखंडता को तोडऩा चाहते हैं। भारत में भी ऐसे कई राजनेता है, जो यह मानते थे कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सैनिक कार्यवाही नहीं कर सकती, लेकिन आज जिस तरह पीओके में सेना ने घुसकर आतंकियों को मारा है, उसे देखते हुए मोदी की सरकार कुछ भी कर सकती है। सवाल नरेन्द्र मोदी को शाबासी देने का नहीं है। सवाल देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का है। हम सबको मिलकर यह दिखाना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ पूरा देश एकजुट है।
(एस.पी. मित्तल) (29-09-2016)
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