आना सागर में गिरने वाले नालों का पानी ट्रीटमेन्ट प्लान्ट में क्यों नहीं डाला जा रहा? अजमेर में सीवर लाइन को लेकर एडीए और नगर निगम आमने-सामने।
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अजमेर शहर के बीचों बीच बनी एतिहासिक और प्राकृतिक सौन्दर्य वाली आनासागर झील का महत्व इसलिए भी है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीन झील के किनारे बने रामप्रसाद घाट पर अकीदत के साथ स्नान भी करते हैं। मान्यता है कि ख्वाजा साहब ने इसी घाट पर अपने जीवनकाल में वजू किया था, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि आज इस झील में आधे शहर का गन्दा पानी कोई 10 नालों के माध्यम से गिरता है। यही वजह है कि यह झील अब मल मूत्र युक्त पानी में तब्दील हो गई है। ऐसा नहीं कि सरकार ने झील की दुर्दशा को सुधारने का कोई काम न किया हो। केन्द्र सरकार की झील संरक्षण योजना के अंतर्गत करोड़ों रुपए अजमेर के अधिकारियों और इंजीनियरों ने खर्च कर दिए, लेकिन नतीजा जीरो रहा क्योंकि अफसरों और इंजीनियरों ने मल मूत्र वाली झील से गंदगी खाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लानत है कि उस अफसरशाही पर जिसकी वजह से आज भी 10 नालों का पानी इस झील में गिर रहा है। झील संरक्षण योजना के अंतर्गत ही किनारे पर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट का निर्माण भी करवा दिया। कोई 20 करोड़ की लागत से बने इस प्लान्ट का उद्घाटन गत 14 अगस्त को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कर भी दिया, लेकिन आज तक भी यह प्लान्ट चालू नहीं हो पाया है। इसका कारण यह है कि अभी झील के किनारे बसी कालोनियों में सीवर लाइन का कार्य ही पूरा नहीं हुआ है। घरों से कनेक्शन कब होंगे और लाइन के जरिए गन्दा पानी ट्रीटमेन्ट प्लान्ट तक कब पहुंचेगा, इसके बारे में कोई नहीं जानता। लेकिन यह सवाल उठता है कि गन्दे नालों का पानी ट्रीटमेन्ट प्लान्ट तक क्यों नही ले जाया जा रहा? फिलहाल सीवर लाइन का विवाद छोड़ भी दिया जाए तो गन्दे नालों का पानी एक विशेष चैनल या पाइप के जरिए प्लान्ट तक पहुंचाया जा सकता है इससे प्लान्ट भी शुरू हो जाएगा। यदि प्लान्ट को शुरू नहीं किया तो यह पड़ा-पड़ा ही जंग लगकर कबाड़ हो जाएगा। जहां तक सीवर लाइन का सवाल है तो अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) और नगर निगम अब आमने-सामने हो गए हैं। हालांकि इन दोनों ही संस्थाओं के प्रमुख पद पर सत्तारूढ़ भाजपा के नेता विराजमान है, लेकिन फिर भी दोनों संस्थाओं में सीवर को लेकर जंग छिड़ी हुई है। गत नगर निगम के चुनाव में कहा गया था कि यदि अजमेर का विकास करवाना है तो सत्ता की कड़ी से कड़ी जोड़ी जाए। जनता ने भाजपा का बोर्ड बनवा दिया। यानि सत्ता की स्थानीय निकाय की पहली इकाई से लेकर दिल्ली तक में भाजपा का शासन है, लेकिन यहां अजमेर में स्थानीय निकाय की दोनों संस्थाओं में ही तालमेल नहीं हो पा रहा है।
(एस.पी. मित्तल) (30-09-2016)
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