सरकारी नीतियां बिगाड़ रही हैं हमारी शिक्षा को – प्रो. कैलाश सोडानी। एमडीएस यूनिवर्सिटी नहीं है राजस्थान सरकार के भरोसे – प्रो. बी पी सारस्वत
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सरकारी नीतियां बिगाड़ रही हैं हमारी शिक्षा को – प्रो. कैलाश सोडानी।
एमडीएस यूनिवर्सिटी नहीं है राजस्थान सरकार के भरोसे – प्रो. बी पी सारस्वत
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7 अक्टूबर को वेस्ट जोन के वाइस चांसलरों की दो दिवसीय कांफ्रेन्स अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी के सभागार में हुई। इस कांफ्रेन्स का आयोजन इसी यूनिवर्सिटी ने किया है। कांफ्रेन्स में उपस्थित वाइस चासंलरों और यूनिवर्सिटीज के प्रतिनिधियों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर कैलाश सोडानी ने कहा कि सरकारों के दखल की वजह से ही देश में शिक्षा जगत का बुरा हाल है। आजादी के बाद मैकालो पैटर्न में बदलाव हो गया, लेकिन आज भी मैकालो के प्रभाव से हमारा शिक्षा जगत ऊभर नहीं पाया है। सरकारी नीतियों ने भेदभाव भी कर रखा है। शिक्षाविदों से ज्यादा आईएएस अफसरों की मानी जाती है। यही वजह है कि जो छात्र दिल्ली में एम्स से एमबीबीएस करता है, उस पर सरकार 1 करोड़ 75 लाख रुपया खर्च करती है, लेकिन वहीं अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर बनने वाले विद्यार्थी पर मात्र 30 लाख रुपए खर्च होते हैं। अजमेर का डॉक्टर तो फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सरकारी नौकरी कर लेता है, लेकिन एम्स का डॉक्टर अपना देश छोड़कर विदेशों में डाक्टरी करता है। सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि एम्स में तैयार होने वाले 53 प्रतिशत डॉक्टर विदेश चले जाते हैं। प्रो. सोडानी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति में राष्ट्रीयता की कमी है। उन्होंने कहा कि बनारस यूनिवर्सिटी में 3 हजार 7 सौ शिक्षक कार्यरत हैं जबकि संपूर्ण राजस्थान की यूनिवर्सिटीज में शिक्षकों की संख्या इससे कम है। सरकार वाइस चांसलर बना देती है, लेकिन उसे कोई अधिकार नहीं होता। एक चपरासी की नियुक्ति भी सरकार के आदेश से करनी होती है। समाज शिक्षाविदों से बहुत अपेक्षाएं करता है, लेकिन सरकार के दखल की वजह से शिक्षाविद् अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता है। यूनिवर्सिटीज में छात्र संघ चुनाव किस मकसद से होते हैं, इसका पता न तो शिक्षकों को है और न विद्यार्थियों को। प्रो. सोडानी ने उम्मीद जताई कि इस दो दिवसीय कांफ्रेन्स में शिक्षा में सुधार के लिए ठोस प्रयास होंगे।
कांफ्रेन्स के संयोजक और एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के अध्यक्ष प्रो. बी पी सारस्वत ने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटी को सरकार के दिशा-निर्देंशों के अनुरूप काम तो करना पड़ता है, लेकिन सरकार कोई बड़ा आर्थिक सहयोग नहीं करती। इस यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए राज्य सरकार मात्र 50 लाख रुपए सालाना देती है। यह यूनिवर्सिटी आज अपने शिक्षकों के दम पर ही आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर है। यूनिवर्सिटी में ऐसे कोर्सेज चलाए जा रहे हैं, जिनसे विद्यार्थी को भी रोजगार मिल रहा है। यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों से जो शुल्क व विद्यार्थियों से जो फीस ली जाती है, उसी से खर्चों की भरपाई होती है। यानि हमारी यूनिवर्सिटी सरकार की कृपा पर निर्भर नहीं है।
(एस.पी. मित्तल) (7-10-2016)
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