जेएनयू में ही जलाया जा सकता है रावण के तौर पर देश के प्रधानमंत्री का पुतला। कांग्रेस कठघरे में।

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जेएनयू में ही जलाया जा सकता है रावण के तौर पर देश के प्रधानमंत्री का पुतला। कांग्रेस कठघरे में।
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पीओके में हुए सर्जिकल ऑपरेशन के बाद जहां विश्व भर में भारत की प्रशंसा हो रही है, वहीं 11 अक्टूबर को दशहरे के दिन दिल्ली के जेएनयू में कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के कुछ विद्यार्थियों ने रावण के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला जलाया। यह वही जेएनयू है, जहां कुछ माह पहले विद्यार्थियों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, कश्मीर में आजादी लेकर रहेंगे जैसे देश विरोधी नारे लगाये थे। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का पुतला जलाने वाले एनएसयूआई के एक छात्र सनी धीमान ने कहा है कि ऐसे पुतले की जानकारी कांग्रेस के बड़े नेताओं को दे दी गई थी। यानि रावण की जगह देश के प्रधानमंत्री का पुतला जलाया जाए, इस पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की भी सहमति थी। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के विद्यार्थी भी उन विचारों के साथ हैं, जो देश विरोधी है? एनएसयूआई के छात्र रावण की जगह प्रधानमंत्री का पुतला जलाते हैं तो फिर ऐसे छात्रों और पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले छात्रों में क्या फर्क है? यह माना कि कांग्रेस इस समय विपक्ष में है और विपक्ष का काम सरकार की आलोचना करना ही होता है, लेकिन यदि ऐसी आलोचना राष्ट्र विरोधी हो तो फिर किसी भी राजनीतिक दल की सोच पर प्रश्न चिन्ह लगता है। एनएसयूआई के जो छात्र देश के प्रधानमंत्री का अपमान कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि सर्जिकल ऑपरेशन करने वाली सेना देश के उसी प्रधानमंत्री की इच्छा शक्ति पर गर्व कर रही है। यह माना कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा के किसी भी नेता ने पीओके में जाकर ऑपरेशन नहीं किया, लेकिन इस ऑपरेशन के लिए सेना को भेजने का फैसला तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ही किया। एनएसयूआई के छात्रों को यह भी समझना चाहिए कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति आदर भाव प्रकट करने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को दशहरे के दिन दिल्ली के बजाए लखनऊ में आयोजित दशहरे के समारोह में भाग लेने के लिए चले गए। दिल्ली के समारोह में प्रधानमंत्री के भाग लेने की परम्परा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के मान-सम्मान का ख्याल रखा। देशवासियों ने टीवी चैनलों पर देखा कि दिल्ली वाले समारोह में कांग्रेस के बड़े नेता ही अतिथि थे।
(एस.पी. मित्तल) (13-10-2016)
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