अब फारुख अब्दुल्ला ने बोली पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों की भाषा। इतने दिन कहां थे फारुख अब्दुल्ला!
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अब फारुख अब्दुल्ला ने बोली पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों की भाषा।
इतने दिन कहां थे फारुख अब्दुल्ला!
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14 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला का एक जहरीला बयान सामने आया है। सब जानते हैं कि आज कश्मीर घाटी के जो बिगड़े हालात हैं, उसके पीछे अब्दुल्ला परिवार का लम्बे समय तक शासन होना रहा है। पहले पिता शेख अब्दुल्ला और फिर स्वयं फारुख अब्दुल्ला उसके बाद पुत्र उमर अब्दुल्ला बार-बार सीएम बनते रहे। अब्दुल्ला परिवार के शासन में ही कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया। अब जब सम्पूर्ण घाटी पाकिस्तान के समर्थक अलगाववादियों के कब्जे में है, तो फारुख अब्दुल्ला कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार को कश्मीर में हालात सुधारने के लिए अलगाववादियों से वार्ता करनी चाहिए। यानि अब केन्द्र सरकार उन अलगाववादियों से बात करे जो हमारे सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले करवा रहे हैं और खुलेआम कश्मीर की आजादी की मांग कर रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला यह भी चाहते हैं कि कश्मीर मुद्दे पर भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। समझ में नहीं आता कि फारुख अब्दुल्ला भारत की एकता और अखंडता को तोडऩा क्यों चाहते हैं? फारुख ने अपने बयान में उस समय तो हद कर दी जब कहा कि उरी की जिस घटना में 19 जवान शहीद हुए हैं, उससे उनका कोई लेना देना नहीं है। फारुख अब्दुल्ला का यह जहरीला बयान तब सामने आया है, जब सुरक्षा बल कश्मीर में आतंकियों पर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। सेना ने पीओके पर जो सर्जिकल ऑपरेशन किया, उसकी प्रशंसा विश्वभर में हो रही है। फारुख अब्दुल्ला भले ही हमारे जवानों की शहादत को गंभीरता से न लें, लेकिन यदि यही जवान भारत में फारुख अब्दुल्ला की सुरक्षा न करे तो वह कभी भी हादसे के शिकार हो सकते हैं। फारुख अब्दुल्ला इस सच्चाई को जानते हैं कि कश्मीर में किस प्रकार से आतंकवाद पनपा है। अपने खानदान के शासन में आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने का ही परिणाम हैं कि आज सम्पूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहिन हो गई है। फारुख अब्दुल्ला भारत में धर्मनिरपेक्षता की तो बात करते हैं, लेकिन घाटी से हिन्दुओं के पलायन पर खामोश है। यदि आज घाटी में धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप हिन्दू भी बसे होते तो घाटी के हालात एक तरफा नहीं होते। सब जानते हैं कि अब्दुल्ला परिवार जब कश्मीर में शासन में होता है तभी कश्मीर की वादियों का आनंद लेता है। अन्यथा फारुख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला इग्लैंड के बंगलों में रहते है। कश्मीर का आम मुसलमान चाहे कितना भी परेशान हो, लेकिन अब्दुल्ला परिवार को इससे कोई सरोकार नहीं है। अच्छा हो कि अब्दुल्ला परिवार भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने में सहयोग करें। यदि कश्मीर घाटी अलग हो जाती है तो अब्दुल्ला परिवार का एक भी सदस्य वहां रह नहीं सकता। अब्दुल्ला परिवार का तभी तक महत्त्व है, जब तक कश्मीर घाटी भारत में है।
(एस.पी. मित्तल) (14-10-2016)
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