100 करोड़ की विवादित भूमि पर कितना मायने रखता है दरगाह कमेटी और दीवान आबेदीन के बीच हुआ एमओयू।
#1853
======================
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के ठीक सामने 600 वर्गगज विवादित भूमि पर दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन और केन्द्र सरकार द्वारा संचालित दरगाह कमेटी के बीच एक एमओयू हुआ है। इस एमओयू पर दरगाह के नाजिम और दौसा के कलेक्टर अशफाक हुसैन ने हस्ताक्षर किए हैं। चूंकि 600 वर्गगज भूमि दरगाह के ठीक सामने हंै इसलिए इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। इस भूमि पर दीवान आबेदीन और दरगाह कमेटी दोनों ही अपना हक बताते हैं। थोड़े दिन पहले तक इस भूमि पर शौचालय बने हुए थे, जिनका उपयोग आसपास के लोग भी करते थे, लेकिन जर्जर होने के कारण शौचालयों को नगर निगम ने ध्वस्त कर दिया। निगम की योजना है कि इस जमीन पर बड़ा सुलभ शौचालय बनाया जाए ताकि दरगाह में आने वाले जायरीन खासकर महिला जायरीन को सुविधा मिल सके। दरगाह के आसपास कहीं भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है, इससे जायरीन को भारी परेशानी होती है। सालाना उर्स के मौके पर तो जायरीन इधर-उधर सड़कों पर ही मूत्र और शौच करते देखे जाते हैं। नगर निगम उर्स के दौरान अस्थाई शौचालय का इंतजाम करता है, लेकिन जायरीन की संख्या के सामने यह बहुत कम होते है। निगम का मानना है कि यहां पहले भी शौचालय बने हुए थे इसलिए अभी भी सुलभ कॉम्पलेक्स का निर्माण होना चाहिए। लेकिन निगम सुलभ कॉम्पलेक्स बनवाता इससे पहले ही दरगाह नाजिम ने दीवान के साथ एमओयू साइन कर लिया। इसके मुताबिक दरगाह दीवान इस भूमि पर व्यवसायिक और आवासीय निर्माण कर सकेंगे, लेकिन भूमि का मालिकाना हक दरगाह कमेटी के पास रहेगा। अभी यह पता नहीं चला है कि व्यवसायिक निर्माण से जो आय होगी, उसका कितना प्रतिशत दरगाह कमेटी को मिलेगा। अलबत्ता दरगाह कमेटी का कहना है कि विवादित भूमि दरगाह कमेटी की सम्पत्ति है जबकि दीवान आबेदीन का कहना है कि यह भूमि उनकी पुश्तैनी दीवान साहब की हवेली का हिस्सा है। आज भी उनका परिवार इसी हवेली में रह रहा है। पूर्व में जो शौचालय बने हुए थे, वे भी हमारी हवेली की भूमि पर थे। ऐसे में भूमि पर हमारे परिवार का ही हक है। कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ की वजह से भूमि को विवादित बता रहे हैं। इस भूमि पर नगर निगम से नक्शा स्वीकृत करवा कर निर्माण करवाया जाएगा। आज भी इस भूमि पर हमारे परिवार का ही कब्जा है। पूरी हवेली हमारे पूर्वजों को मुगल शासकों ने दी थी। जायरीन की सुविधा के लिए इस भूमि पर 100 शौचालय भी बनाए जाएंगे। इस पर केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भी अपनी सहमति दे दी है।
वहीं क्षेत्रीय पार्षद अमाद चिश्ती, पूर्व पार्षद गुलाम मुस्तफा आदि ने विवादित भूमि पर दीवान आबेदीन के कब्जे को गैर कानूनी बताया है। साथ ही निगम प्रशासन से मांग की है कि भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जाए। वर्तमान में जो केबिन आदि रखी हैं, उन्हें भी हटा कर भूमि को निगम अपने कब्जे में ले।
(एस.पी. मित्तल) (15-10-2016)
नोट- फोटोज मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
(www.spmittal.in) M-09829071511
www.facebook.com/SPMittalblog