तो अजमेर रेलवे ने कर लिया कमाई का जुगाड़। क्या नगर निगम कोई कार्यवाही कर पाएगा।
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इसे अजमेर जिला प्रशासन और नगर निगम की विफलता ही कहा जाएगा कि शहर के सबसे भीड़ वाले स्टेशन रोड पर बने फुटओवर ब्रिज की एक भुजा आज तक भी रेलवे स्टेशन के परिसर में नहीं उतारी जा सकी है। फुटओवर ब्रिज की भुजा रेलवे स्टेशन के बाहर नगर निगम के मार्ग पर ही है इसलिए स्टेशन रोड संकरा हो गया है। रेलवे के अधिकारियों ने अनेक बार वायदा किया कि भुजा को स्टेशन परिसर में उतार लिया जाएगा, लेकिन इस वायदे को रेल प्रशासन ने आज तक भी पूरा नहीं किया है। वहीं रेल प्रशासन ने लाखों रुपए की कमाई का जुगाड़ कर लिया है। रेलवे स्टेशन पर पांच ऐसे विज्ञापन बोर्ड लगाए जा रहे हैं, जिनका फ्रंट स्टेशन रोड की ओर है। यानि जो भी नागरिक स्टेशन रोड से गुजरेगा, उसकी निगाह विज्ञापन बोर्ड पर अवश्य पड़ेगी। रेल प्रशासन ने जिस कंपनी को बोर्ड लगाने का अधिकार दिया है, वह प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया रॉयल्टी का रेलवे को देगी। इसी प्रकार गांधी भवन चौराहे के निकट चार मंजिला बहुउद्देशीय कॉम्पलैक्स भी रेलवे प्रशासन एक निजी कंपनी से बनवा रहा है। जिस कंपनी ने रेलवे से भूमि लीज पर ली है, उस कंपनी ने 6 दुकानें गांधी भवन चौराहे की ओर निकाल दी है, इससे कंपनी को करोड़ों रुपए की आय होगी। गंभीर बात यह है कि कंपनी ने बहुमंजिला इमारत का नक्शा नगर निगम से स्वीकृत नहीं करवाया है। कंपनी का कहना है कि निर्माण रेलवे परिसर में हो रहा है इसलिए नगर निगम अथवा जिला प्रशासन से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि निगम के नोटिस के बाद भी धड़ल्ले से निर्माण का काम जारी है। गांधी भवन चौराहे की ओर जो 6 दुकानें तैयार की गई है, उससे आने वाले दिनों में चौराहे के यातायात में भारी परेशानी उत्पन्न होगी। इसी चौराहे के पास रेलवे ने पहले ही एक अतिरिक्त द्वार का निर्माण करवा दिया है। ऐसे में यात्रियों का ट्रेफिक भी इसी चौराहे से गुजरेगा। रेल प्रशासन ने भले ही सभी कार्य अपनी भूमि पर किए हो, लेकिन इससे गांधी भवन चौराहा और स्टेशन रोड का यातायात बुरी तरह प्रभावित होगा।
(एस.पी. मित्तल) (17-10-2016)
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