जमीयत के अधिवेशन में 4 लाख नहीं मात्र 40 हजार लोग आएंगे। अजमेर कलेक्टर से मिला प्रतिनिधि मंडल।
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अजमेर में आगामी 11-12 व 13 नवम्बर को जमीयते उलेमा ए हिंद के प्रस्तावित राष्ट्रीय अधिवेशन में मात्र 40 हजार लोग ही देशभर से आएंगे। 27 अक्टूबर को जमीयत के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री ने एक प्रतिनिधि मंडल के साथ जिला कलेक्टर गौरव गोयल से मुलाकात की। इस मुलाकात मे खत्री ने कलेक्टर को बताया कि प्रशासन से मंजूरी लेने के लिए जो आवेदन किया था उसमें गलती से 4 लाख लोगों के आने की बात लिखी गई है। अधिवेशन में मुश्किल से 40 हजार लोग ही देशभर से आएंगे। पहले दिन 11 अक्टूबर को राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की बैठक में मात्र 42 प्रतिनिधि भाग लेंगे। कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में खत्री ने कहा कि हमारे अधिवेशन की वजह से पुष्कर मेला प्रभावित नहीं होगा। कायड़ विश्राम स्थली कोई 8 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और यदि हमें अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता हुई तो आसपास की कृषि भूमि का उपयोग कर लिया जाएगा। अधिवेशन से एनसीसी का केम्प भी प्रभावित नहीं होगा। जमीयत के सभी सदस्य बहुत ही अनुशासित हैं। कलेक्टर गोयल ने प्रतिनिधि मंडल को सलाह दी कि वे सिटी मजिस्ट्रेट अरविंद सेंगवा से मुलाकात करें। इस पर जमीयत के प्रतिनिधि मंडल ने सिटी मजिस्ट्रेट को भी विस्तार से समझाया। अब देखना है कि जिला प्रशासन जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन की मंजूरी देता है या नहीं। 26 अक्टूबर को ही कलेक्टर ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया था।
जमीयत के अधिवेशन का विरोध :
ऑल इंडिया उलेमा एण्ड मशायख बोर्ड के प्रतिनिधियों ने अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल से मुलाकात कर कहा कि जमीयत उलेमा हिंद के विचार ख्वाजा साहब के सूफीवाद से ताल्लुक नहीं रखते हैं इसलिए जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन की मंजूरी नहीं दी जाए। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह में गैर मुस्लिम धर्मो के लोग भी जियारत के लिए आते हंै। ऐसे में जमीयत के अधिवेशन में दो विचारधारा में टकराव की आशंका है। कलेक्टर से बोर्ड के प्रतिनिधियों ने 26 अक्टूबर को दिन में मुलाकात की और शाम होते-होते कलेक्टर ने जमीयत को अजमेर में राष्ट्रीय अधिवेशन करने की मंजूरी देने से इंकार कर दिया। कलेक्टर ने जमीयत के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री को लिखे पत्र में कहा कि विवाद की आशंकाओं को देखते हुए अधिवेशन की मंजूरी नहीं दी जा सकती। यानि उलेमा एण्ड मसायख बोर्ड ने जमीयत के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जमीयत का राष्ट्रीय अधिवेशन 11-12 व 13 नवम्बर को अजमेर में कायड़ विश्राम स्थली पर होना था। इसके लिए जमीयत ने दरगाह कमेटी से कायड़ विश्राम स्थली के उपयोग की स्वीकृति भी प्राप्त कर ली थी। जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना मदनी ने पिछले दिनों ही अजमेर का दौरा कर अधिवेशन की तैयारियों का जायजा लिया। जमीयत से जुड़े 4 लाख लोगों के अधिवेशन में भाग लेने की उम्मीद थी। इसके लिए जमीयत से जुड़े मौलाना देशभर में संपर्क कर रहे हैं।
सरकार के खिलाफ प्रस्ताव :
जमीयत के अजमेर में प्रस्तावित अधिवेशन में केन्द्र सरकार के खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया जाना है। जानकारों की माने तो देश में समान आचार संहिता और तीन तलाक के मुद्दे पर केन्द्र सरकार ने अपना जो रूख रखा है उससे जमीयत के पदाधिकारी बेहद खफा हैं। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने भी टीवी चैनलों की बहस में सरकार के रूख की कड़ी आलोचना की है। मदनी का कहना है कि केन्द्र सरकार मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है। ऐसे में यही माना जा रहा है कि जमीयत का अधिवेशन सरकार के खिलाफ है।
कोटा में भी हो चुका है विवाद :
वर्ष 2011 में जमीयत का राष्ट्रीय अधिवेशन कोटा में भी होना था, लेकिन ऐन मौके पर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाने से प्रशासन को अधिवेशन को निरस्त करवाना पड़ा। कोटा के हालातों को देखते हुए अजमेर जिला प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता इसलिए अधिवेशन की मंजूरी नहीं दी जा रही है। अजमेर को साम्प्रदायिक सद्भावना की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। जबकि जमीयत में ही एक ऐसी विचारधारा है जो खानकाह व सूफी दरगाहों से अलग है, इसलिए गैर मुस्लिम ही नहीं बल्कि ख्वाजा साहब के सूफीवाद को मानने वाले मुसलमान भी जमीयत के अधिवेशन का विरोध कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल) (27-10-2016)
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