थोड़ी परेशानी से होगा बड़ा फायदा। नकली नोट और आतंकवाद पर भी लगेगी लगाम। अब आयकर की सीमा बढ़ाई जाए।

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500 और 1000 रुपए के नोट अचानक बंद हो जाने से 9 नवंबर को देश भर में अफरा-तफरी का माहौल रहा है। हालांकि पीएम नरेन्द्र मोदी ने ऐसे नोट आगामी 30 दिसंबर तक बैंकों में जमा करवाने की छूट दी है, लेकिन बाजार में इन नोटों के नहीं चलने से आम व्यक्ति 9 नवंबर को फल एवं सब्जी लेने के लिए भी मोहताज हो गया। परिवार का हर सदस्य आज परेशान और निराश देखा गया। जिन पत्नियों ने चोरी-छिपे दस-बीस हजार रुपए जमा कर रखे थे, उन्होंने भी बड़े मासूम तरीके से इस जमा पूंजी को उजागर कर दिया। ऐसी परेशानी आगामी कितने दिनों तक रहती है, यह सिर्फ नरेन्द्र मोदी ही जानते हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर परचूनी की दुकान तक लोग परेशान देखे गए। मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। अस्पताल वालों ने 500 और 1000 रुपए के नोट नहीं लिए और 100 रुपए का नोट अस्पताल में कोई मायने नहीं रखता। ऐसे में मरीज के लिए दवाईयां भी नहीं खरीदी जा सकी। पता नहीं लोगों की परेशानी से नरेन्द्र मोदी अवगत हुए या नहीं, लेकिन फिर भी यह माना जा रहा है कि थोड़ी परेशानी के बाद लोगों को बड़ा फायदा होगा। खासकर जो लोग ईमानदारी और स्वाभिमान की जिन्दगी जीते हैं, उनका सम्मान और बढ़ जाएगा। इसमें कोई दोराय नहीं कि पाकिस्तान से नकली नोट आते रहे और इन्हीं नकली नोटों से आतंकवादी हथियार खरीद कर हमारे ही लोगों को मारते रहे। अब 500 और 2000 रुपए का जो नया नोट आएगा, उस पर इलैक्ट्रोनिक चीप लगी होगी। यह चीप सरकार को बता देगी कि नोट किसकी जेब में पड़ा है।
आयकर की सीमा बढ़े
इसमें कोई दोराय नहीं नरेन्द्र मोदी की योजना से सभी लोगों को अपना रुपया बैंकों में जमा करवाना पड़ेगा। ऐसे में सरकार को यह पता होगा कि किस व्यक्ति के पास कितना धन है। नरेन्द्र मोदी यह अच्छी तरह समझते हैं कि इससे कंपनी चलाने वाले बड़े लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ऐसे लोगों ने तो पहले ही बैंकों आदि से लोन लेकर स्वयं को सुरक्षित कर रखा है, लेकिन इससे मध्यमवर्गीय उन परिवार को परेशानी होगी, जिन्होंने बाजार में ब्याज पर कुछ लाख रुपए चला रखे हैं। ऐसे लोगों के घर का गुजारा इस ब्याज की राशि से ही होता है। ऐसे में सरकार को यह चाहिए कि फिलहाल आयकर की सीमा जो ढ़ाई लाख और तीन लाख रुपए कर रखी है। उसे बढ़ाकर कम से कम 10 लाख रुपए किया जाए। इस बात को नरेन्द्र मोदी भी अच्छी तरह से समझते हैं कि ढ़ाई लाख रुपए से सालभर का गुजारा होना बेहद मुश्किल है। मोदी जब आम व्यक्ति को राहत देने की बात कहते हैं तो उन्हें आयकर की सीमाओं को भी बढ़ाना चाहिए। यदि इतने सख्त प्रावधान के बाद भी आयकर की सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो देश का एक बहुत बड़ा वर्ग सरकार की नीतियों से नाराज होगा।
(एस.पी.मित्तल) (09-11-16)
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