देशव्यापी अफरा-तफरी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान पहुंचे। मुलायम और मायावती सबसे ज्यादा बिलबिलाए।
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10 नवंबर को जब देश भर में बैंकों और डाकघरों में नए नोट प्राप्त करने के लिए अफरा-तफरा रही तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान पहुंच गए। सब जानते हैं कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद हो जाने की वजह से आम व्यक्ति प्रभावित हुआ है। इसे नरेन्द्र मोदी का आत्मविश्वास ही कहा जाएगा कि इतना बड़ा फैसला लेने के बाद स्वयं देश से बाहर चले गए। इसका यह मतलब नहीं कि फैसले के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से नरेन्द्र मोदी भागना चाहते हैं। असल में मोदी एक के बाद एक बड़ा काम करने को उत्सुक रहते हैं। मोदी को इस बात का आभास है कि 10 नवंबर का देश के हालात कैसे होंगे। चूंकि पुख्ता प्रबंधन था इसलिए कुछ घटनाओं को छोड़कर देश भर में हालात सामान्य रहे। यह बात सही है कि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों को लेकर परिजनों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके लिए मोदी का प्रबंधन नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पतालों का प्रबंधन दोषी है। अस्पतालों को अपने यहां भर्ती मरीज का इलाज तो करना ही चाहिए, जहां तक भुगतान का सवाल है। हर मरीज भुगतान तो करेगा ही। दस नवंबर को जिस तरह से बैंकों ने सकारात्मक भूमिका निभाई। उसे देखते हुए उम्मीद है एक सप्ताह में हालात सामान्य हो जाएंगे। ग्यारह नवंबर से एटीएम भी नोट उगलना शुरू कर देंगे। जहां तक बेइमानों का सवाल है तो अब उनकी खैरियत नहीं है। इसका अंदाजा 10 नवंबर को समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह और बसपा की चीफ मायावती के बयानों से लगाया जा सकता है। इन दोनों ही राजनेताओं ने नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि नोट बंद करने के फैसले को वापस लिया जाए। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अनेक राजनीतिक दलों ने बड़ी संख्या में नोटों का संग्रहण कर रखा है।
(एस.पी.मित्तल) (10-11-16)
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