तीन बार तलाक कह कर औरत को छोडऩे वाले का होगा सामाजिक बहिष्कार। पर जमीयत को शरियत कानून में सरकारी दखल पसंद नहीं। =====================
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देश के मुसलमानों में बहावी विचारधारा की नुमाइंदगी करने वाली संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन अजमेर में हो रहा है। 12 नवम्बर को कायड़ विश्राम स्थली में जमीयत के हजारों कार्यकर्ताओं का खुला अधिवेशन हुआ। 13 नवम्बर को आम जलसे के साथ अधिवेशन का समापन होगा। माना जा रहा है कि आम जलसे में कोई 50 हजार मुसलमान भाग लेंगे। 12 नवम्बर को जमियत के प्रमुख तथा राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी से मेरा सीधा संवाद हुआ। पहले से निर्धारित समय के अनुसार मौलाना मदनी कार्यकर्ताओं के अधिवेशन को छोड़कर आए और मुझे सवाल पूछने का मौका दिया। इसके लिए मैं मौलाना मदनी का शुक्रगुजार हंू कि उन्होंने इतनी व्यस्तता के बाद भी मुझे समय दिया। मेरे अनेक सवालों के जवाब में मदनी ने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा ऐसा ही है, जैसे किसी व्यक्ति के पास लाइसेंस की रिवाल्वर होना। अब यदि कोई व्यक्ति अपनी रिवाल्वर का दुरुपयोग करेगा तो उसे सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी।। लेकिन इस सजा को भारत की सरकार की अदालत अथवा कोई कानून नहीं दे सकता। यह सजा तो मुस्लिम समुदाय ही देगा। तीन तलाक का मुद्दा बनाकर मुस्लिम औरतों की परेशानियों को लेकर चाहे कितना भी ढिंढोरा पीटे, लेकिन हकीकत यह है कि आम मुसलमान औरत इस प्रथा के पक्ष में हैं। मैं मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का सदस्य भी हंू। हमने देशभर में मुस्लिम औरतों से शपथ पत्र भरवाएं हैं, जो हम सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे। हम सुप्रीम कोई में चल रहे विवाद में पक्षकार बन गए हैं। शरियत में तीन तलाक को बहुत बुरा माना गया है। जमियत यह चाहता है कि तीन बार तलाक कहकर अपनी औरत को छोडऩे वाले का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। इसके लिए देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन हम किसी भी सरकार को हमारे शरियत कानून में दखल नहीं देने देंगे। 1937 में अंगे्रजों ने इस मुद्दे पर दखल देने का प्रयास किया था, लेकिन बाद में अंग्रेज शासकों को भी मुसलमानों में आगे झुकना पड़ा।
बंद हो धर्म का दुरुपयोग:
मौलाना मदनी ने कहा कि कुछ लोग मुस्लिम धर्म का दुरुपयोग कर आतंकवाद फैलाते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। क्योंकि इस्लाम में तो आतंकवाद का कोई स्थान नहीं। कुछ लोग जमियत की विचार धारा को लेकर अंगुली उठाते हैं। जबकि जमियत तो खुले रूप से आतंकवाद के खिलाफ है। पाकिस्तान में बैठा हाफिज सईद हो या अन्य कोई व्यक्ति, यदि भारत के खिलाफ आतंकवादी कार्यवाही में लिप्त पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही होनी ही चाहिए। जमीयत ने कभी भी आतंकवादी वारदातों का समर्थन नहीं किया है।
सूफी विचार धारा से ही हो मुकाबला:
मौलाना मदनी ने कहा कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने सूफीवाद का जो पैगाम दिया, उसी से आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है। जमीयत देश के आम मुसलमानों की नुमाइदंगी करने वाली राष्ट्रव्यापी संस्था हैं। ख्वाजा साहब के सूफीवाद का पैगाम फैलाने के लिए ही जमियत का राष्ट्रीय अधिवेशन अजमेर में किया गया है। मदनी ने इस बात पर खुशी जताई कि जब जमीयत के प्रतिनिधि ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए पहुंचे तो खादिमों की दोनों संस्थाओं के पदाधिकारियों ने इस्तकबाल किया। खादिमों ने ही हमें जियारत करवाई और दस्तारबंदी की। यह मौका यह दर्शाता है कि जमियत और ख्वाजा साहब की सूफीवाद की विचारधारा में कोई विवाद नहीं है।
ख्वाजा साहब के नाम पर स्पेशल ट्रेन:
मौलाना मदनी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के देवबंद से अजमेर तक जो स्पेशल ट्रेन चलाई गई है, उसका नाम ख्वाजा स्पेशल ट्रेन रखा गया है। जमियत के कार्यकर्ताओं से भरी यह ट्रेन 12 नवम्बर को अजमेर पहुंची है।
कार्यकर्ताओं का हुआ सम्मेलन:
अधिवेशन के दूसरे दिन 12 नवम्बर को कायड़ विश्रामस्थली पर जमियत के कार्यकर्ताओं का विशाल अधिवेशन हुआ। इसमें देश के ताजा हालातों और मुसलमानों की स्थितियों पर खुलकर विचार विमर्श हुआ। अनेक मुस्लिम धर्मगुरुओं और विद्वानों ने कहा कि देश के कई हिस्सों से मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। ऐसे अत्याचारों का मुकाबला मुसलमानों को पूरी ताकत के साथ करना चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (12-11-16)
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