तो क्या सुप्रीम कोर्ट से टकरार नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी की योजना पर असर डाल सकती है? सीजेआई का सरकार के प्रति कड़ा रूख।
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देश के चीफ जस्टिस टी.एस.ठाकुर ने 18 नवम्बर को दो महत्वपूर्ण निर्णय दिए। इन दोनों निर्णयों से प्रतीत होता है कि सुप्रीम कोर्ट का रूख नरेन्द्र मोदी की सरकार के प्रति सख्त है। यदि इस रूख में नरमाई नहीं आती है तो इसका असर मोदी की नोटबंदी की योजना पर भी पड़ सकता है। सब जानते हंै कि 15 नवम्बर को ही जस्टिस ठाकुर ने सरकार के नोटबंदी के फैसले पर दखल देने से इंकार कर दिया था। जस्टिस ठाकुर ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सरकार को आम लोगों की परेशानियों का भी ध्यान रखना चाहिए। सरकार को यह बताने के लिए कहा गया कि वह आम लोगों की सहुलियत के लिए क्या कर रही है? 18 नवम्बर को सरकार की ओर से बताया गया कि लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए क्या-क्या उपाय किए गए है। साथ ही जस्टिस ठाकुर से आग्रह किया गया कि देश के विभिन्न हाईकोर्टो में नोटबंदी को लेकर जो वाद दायर हुए हैं उन सभी पर रोक लगाई जाए, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसा कई बार हुआ है जब एक ही मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती है तो हाईकोर्टो से सभी वाद सुप्रीम कोर्ट में मंगवा लिए जाते है, लेकिन 18 नवम्बर को चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने साफ कहा कि नोटबंदी पर हाईकोर्टो में हो रही सुनवाई पर रोक नहीं लगाई जाएगी। जस्टिस ठाकुर का मानना रहा कि नोटबंदी की वजह से सड़कों पर दंगे भी हो सकते है। यानि सुप्रीम कोर्ट का रूख सरकार के प्रति सख्त रहा। एक ओर जस्टिस ठाकुर ने नोटबंदी के मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी की सरकार को फटकार लगाई तो साथ ही हाईकोर्ट के 43 जजों के नामों पर फिर से विचार करने के निर्देश नरेन्द्र मोदी की सरकार को दिए। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के 77 जजों के नाम केन्द्र सरकार को भेजे थे, लेकिन मोदी सरकार ने 34 नामों पर मंजूरी देकर 43 नाम खारिज कर दिए। यानि जीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने जिन नामों पर सहमति जताई थी उन पर मोदी सरकार ने असहमति प्रकट की। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए जिन नामों का प्रस्ताव करता है उन्हें केन्द्र सरकार मंजूरी दे देती है। कभी-कभार एक दो नामों पर असहमति होती है तो आपसी विचारविमर्श से मामले को सुलझा लिया जाता है, लेकिन देश के न्यायिक इतिहास में संभवता: यह पहला अवसर है कि 43 नामों को केन्द्र सरकार ने खारिज कर दिया। मोदी सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट को बिल्कुल पंसद नहीं आया, इसलिए उन्हीं 43 नामों को वापस केन्द्र सरकार को भेजा गया है। अब देखना है कि पूर्व में खारिज किए गए नामों के दोबारा से आने पर मोदी सरकार क्या निर्णय लेती है। केन्द्र सरकार को इस बात का भी ख्याल है कि नोटबंदी के प्रकरण में 25 नवम्बर को चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर के समक्ष ही सुनवाई होनी है।
(एस.पी.मित्तल) (19-11-16)
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