बाबा स्वामी ने अजमेर के साधकों की तुलना केकड़ों से की। हालातों पर अफसोस जताया।
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समर्पण ध्यान के प्रणेता शिवकृपानंद स्वामी ने अजमेर के साधकों की तुलना टोकरी में रखे केकड़ों से की है। जिस प्रकार केकड़े अपने साथी को टोकरी से बाहर नहीं निकलने देते, उसी प्रकार अजमेर में समर्पण ध्यान के साधक एक-दूसरे की टांग खींचते हैं। 23 नवंबर को अरड़का में गादी स्थान के भूमि पूजन के बाद साधकों को संबोधित करते हुए बाबा स्वामी ने अजमेर के हालातों पर बेहद अफसोस जताया। उन्होंने अजमेर को गरीब बताते हुए कहा कि आश्रम के लिए जमीन तलाशने और खरीदने में 10 वर्ष लग गए और जब आश्रम निर्माण की बात आई तो साधक आपस में ही झगडऩे लगे। साधकों के झगड़ों को देखते हुए ही मुझे अजमेर की कमेटी को भंग करना पड़ा। मैं अब अजमेर में कोई कमेटी नहीं बनाऊंगा। झगड़ों को देखते हुए ही अरड़का में आश्रम के निर्माण से पहले गादी स्थान बनाने का निर्णय लिया है। गादी स्थान के निर्माण पर जो भी खर्च आएगा उसे गुरु दक्षिणा से पूरा किया जाएगा। बाहर के साधक मुझे गुरुदक्षिणा में जो राशि दते हैं, उसे अजमेर में खर्च किया जाएगा। बाबा स्वामी ने कहा कि गादी स्थान के निर्माण के लिए मुझे एक मुश्त दान नहीं चाहिए। मैं चाहता हूं कि लोग प्रतिमाह कुछ ना कुछ राशि दान में दें, भले ही यह राशि सौ रुपए की हो। बाबा स्वामी ने कहा कि अजमेर आत्मिक दृष्टि से गरीब है, यह चिन्ता का विषय है। एक सवारी में लगे पांच घोड़ों में से तीन यदि आलसी है तो शेष दो घोड़ों को तीन आलसी घोड़ों का भी बोझ ढ़ोना पड़ता है। बाबा स्वामी ने कहा कि अब अजमेर में गादी स्थान के निर्माण के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। उम्र बढऩे के कारण बड़े लोगों का दिमाग खराब हो जाता है। भगवान श्रीराम ने बंदरों से ही लंका को जीत लिया था। उन्होंने साधकों से पुरानी बातों को भूलने और नई शुरुआत करने का आह्वान किया। बाबा स्वामी ने कहा कि मैं अरड़का के आश्रम की जिम्मेदारी अजमेर के किसी भी साधक को नहीं दे रहा, इसके लिए मैंने नवसारी के आश्रम से जुड़े प्रतीक लंगालिया को दी है। अब साधकों को प्रतीक को ही सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर प्रतीक ने बाबा स्वामी को बताया कि गादी स्थान के निर्माण के लिए अब तक करीब 8 लाख रुपए की धनराशि एकत्रित हो गई हैं। उन्होंने बाबा स्वामी को भरोसा दिया कि अजमेर के साधकों के मतभेद दूर कर गादी स्थान के भवन का निर्माण तेजी के साथ किया जाएगा।
(एस.पी.मित्तल) (23-11-16)
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