अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह की तरह मुंबई की हाजी अली की दरगाह में भी महिलाओं ने पवित्र मजार पर जियारत की।

#2012
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जिस प्रकार अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में महिलाएं प्रवेश कर पवित्र मजार पर दुआ मांग कर जियारत की रस्म अदा करती हैं, ठीक उसी प्रकार अब मुंबई स्थित हाजी अली की दरगाह में भी महिलाएं पवित्र मजार पर दुआ और जियारत कर सकेंगी। इसकी शुरूआत 29 नवंबर को भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन से जुड़ी करीब 80 महिलाओं ने कर दी है। आंदोलन की सह संस्थापक नूरजहां साफिज नियाज के नेतृत्व में महिलाओं ने पवित्र मजार पर चादर और फूल पेश किए और परंपरा के अनुरूप जियारत की। हाजी अली की दरगाह में महिलाओं के पवित्र मजार तक जाने को महिलाओं के हित में एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। हालांकि वर्ष 2012 के पहले से दरगाह में महिलाओं को प्रवेश दिया जाता था, लेकिन बाद में दरगाह के ट्रस्ट ने प्रवेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देंश दिए कि महिलाओं को दरगाह में प्रवेश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 29 नवंबर को यह पहला अवसर रहा, जब महिलाओं ने हाजी अली दरगाह में पवित्र मजार तक प्रवेश पाया। महिलाओं के प्रवेश को लेकर मुंबई में जितने भी आंदोलन हुए, उनमें अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह का उदाहरण दिया गया। हर बार कहा गया कि जिस प्रकार ख्वाजा साहब की दरगाह में महिलाएं पवित्र मजार तक जाती है, उसी प्रकार हाजी अली की दरगाह में भी महिलाओं को पवित्र मजार तक जाने दिया जाए। सब जानते हैं कि ख्वाजा साहब की पवित्र मजार पर रखी चादर को महिलाएं छू सकती हैं, लेकिन हाजी अली की दरगाह के ट्रस्ट ने जो व्यवस्था की है उसमें महिलाएं पवित्र मजार से दो-तीन फीट दूर ही रहेंगी।
एस.पी.मित्तल) (29-11-16)
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