महाकाल और औंकारेश्वर का मिला आशीर्वाद। इसलिए नहीं मिले दो दिन ब्लॉग।
#2031
=======================मैं इसे महाकाल और औंकारेश्वर का ही आशीर्वाद मानता हंू, जब पांच और छह दिसम्बर को मेरे ब्लॉग पाठकों तक नहीं पहुंचे, तो अनेक फोन आए और यह जानना चाहा कि आखिर ब्लॉग क्यों नहीं आए? मेरे मित्र राजेश मालवीय के निमंत्रण पर मैं 5 दिसम्बर को उज्जैन में रहा तो 6 दिसम्बर को नर्मदा नदी के किनारे बने औंकारेश्वर मंदिर में दर्शन किए। महाकाल और औंकारेश्वर जिन्हें सब लोग भगवान शिव का प्रतीक मानते हैं, उनके बारे में यहां कुछ लिखने की जरुरत नहीं है। देश दुनिया से लाखों-करोड़ों शिवभक्त महाकाल के दर्शन कर आत्मबल और शक्ति प्राप्त करते हैं। मैं आभारी हंू पुष्कर स्थित जोगणिया धाम के उपासक और ज्योतिषाचार्य भंवरलाल जी का जिन्होंने महाकाल और औंकारेश्वर में भगवान शिव का आशीर्वाद भरपूर दिलवाया। भंवर जी ने मेरे प्रति जो स्नेह और प्यार दिखाया,उसी का नतीजा रहा कि मुझे महाकाल में शिवलिंग के दो बार दर्शन करने के अवसर मिले। पहली बार महाआरती में भाग लिया, तो दूसरी बार दोपहर तीन बजे गर्भगृह में शिवलिंग पर ही रमन गुरु महाराज ने पूजा अर्चना करवाई। इतनी भीड़ के बाद भी रमन गुरु ने मेरी पत्नी के साथ सभी धार्मिक रस्में करवाई। शिवलिंग पर अर्पित मालाओं को मेरे गले में डाला और मेरी पत्नी अचला मित्तल की साड़ी का पल्लू शिवलिंग पर रखी पूजा सामग्री और प्रसाद से भर दिया। इसी अवसर पर रमन गुरु ने बताया कि अजमेर रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल भी महाकाल मंदिर में आकर पूजा अर्चना कर चुकी हैं। 5 नवम्बर को शिवजी का सोमवार होने की वजह से भी मंदिर में पूजा अर्चना करने का विशेष धार्मिक महत्त्व रहा। इसके बाद मंदिर परिसर में ही स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर के उपासक चमू गुरु ने हमारे हाथों में रेशमी धागा बांध कर भगवान गणेश का भी अशीर्वाद दिलवाया। इसी प्रकार औंकारेश्वर मंदिर में पंडित देवेन्द्र चतुर्वेदी ने आत्मियता के साथ औंकारेश्वर शिवलिंग के दर्शन करवाए। मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हंू कि दो दिन की अवधि में 12 में से भगवान शिव के प्रतीक दो ज्योर्तिलिंगों ेके दर्शन कर आशीर्वाद हासिल किया। मैंने कालों के काल महाकाल से यह प्रार्थना की कि मैं जन भावनाओं के अनुरूप पत्रकारिता का धर्म निभाता रहंू। मुझे इतनी शक्ति दी जाए मैं निर्भीक निर्डर और निष्पक्ष होकर रोजाना लिखता रहंू। मैं अपनी दो दिवसीय धार्मिक यात्रा के लिए मध्यप्रदेश सरकार के जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त निदेशक पंकज मित्तल का भी आभार प्रकट करना चाहता हंू। मित्तल ने भी इस बात का ख्याल रखा कि मध्यप्रदेश में मुझे कोई परेशानी न हो। मैं आज तक भी पंकज मित्तल से नहीं मिला हंू। मेरी सिर्फ फोन पर ही बात हुई है। सिर्फ मेरे ब्लॉग पढ़ कर मेरे प्रति इतना सम्मान प्रकट करना मेरे लिए सकारात्मक बात है।
एस.पी.मित्तल) (07-12-16)
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