इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के साथ क्रूरता बताया। पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही जता चुका है एतराज। =====================
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8 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो मुस्लिम महिलाओं की याचिका पर निर्णय देते हुए तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के साथ क्रूरता करना कहा है। जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तर्कों को भी खारिज कर दिया। जस्टिस कुमार ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं हो सकता है। तीन तलाक असंवैधानिक और महिलाओं के खिलाफ है। कुरान में भी तीन तलाक को अच्छा नहीं माना गया है। कुरान में कहा गया है कि जब सुलह के सभी रास्ते बंद हो जाए, तभी तलाक दिया जा सकता है। मुस्लिम समाज का एक वर्ग तीन तलाक पर इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है। हाईकोर्ट ने यह फैसला मुस्लिम महिला हिना और उमरबी की याचिका पर सुनाया है।
पहले ही हो चुका है विरोध
तीन तलाक का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, उसमें भी तीन तलाक को असंवैधानिक माना है। अब इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी पक्षकार बन गया है। बोर्ड ने देश भर में मुस्लिम महिलाओं से एक पत्र पर हस्ताक्षर करवाए हैं जिसमें तीन तलाक पर सहमति जताई गई। तीन तलाक को मुस्लिम कानून के अनुरूप सही बताया गया है। चूंकि इस समय केन्द्र में भाजपा की सरकार है, इसलिए सरकार के शपथ पत्र पर राजनीति भी हो रही है। अनेक राजनीतिक दल अप्रत्यक्ष तौर पर तीन तलाक का समर्थन कर रहे हैं। अब जब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया है तो देखना होगा कि उत्तर प्रदेश में किस प्रकार राजनीति होती है। यू.पी. में इस समय समाजवादी पार्टी का शासन है। अब यह भी देखना होगा कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हाईकोर्ट के फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
(एस.पी.मित्तल) (08-12-16)
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