तो क्या अब कांग्रेस वंडर सीमेंट को दी जाने वाली खनन भूमि का विरोध करेगी? आरके मार्बल का सहयोगी संस्थान है वंडर सीमेंट। मोदी सरकार की साख भी दांव पर।
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राजस्थान के सबसे बड़े दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में 27 दिसंबर को एक खबर प्रकाशित हुई है। इस खबर में यह खुलासा किया गया है कि राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार आर के मार्बल के सहयोगी संस्थान वंडर सीमेंट को सैंकड़ों बीघा खनन भूमि देने जा रही है। इसके लिए सरकार में बैठे प्रभावशाली लोगों ने खान विभाग से प्रस्ताव भी मंगा लिया है। यह वही भूमि है, जिसे पूर्व में वंडर सीमेंट को आवंटित किया गया था, लेकिन तब कांग्रेस ने वसुंधरा राजे सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने जयपुर में मोर्चा खोला, तो दिल्ली में प्रेस कांफ्रेन्स कर नरेन्द्र मोदी तक को घसीटा गया। कांग्रेस के इस विरोध के चलते ही राज्य सरकार ने अपने आवंटन को निरस्त कर दिया। लेकिन अब वहीं वसुंधरा राजे सरकार आरके मार्बल और वंडर सीमेंट को सैंकड़ों बीघा भूमि आवंटित करने जा रही है। इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या कांग्रेस सरकार के इस आवंटन का फिर से विरोध करेगी? राजस्थान पत्रिका में खबर को छपे हुए दो दिन गुजर गए हंै, लेकिन अभी तक भी कांग्रेस के किसी भी नेता ने मुंह नहीं खोला है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आरके मार्बल और वंडर सीमेंट के मालिक अशोक पाटनी ने इस बार कांग्रेस में भी तगड़ा प्रबंध किया है। कारोबारी लोग जानते हैं कि पाटनी परिवार हर सरकार में अपना दखल रखता है। राज कांग्रेस का हो अथवा भाजपा का। दोनों ही राज के मंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री आदि आरके मार्बल के मेहमान बनने में अपनी शान समझते हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा के तो पाटनी परिवार से पारिवारिक संबंध हैं। कुछ माह पहले ही राजे जब किशनगढ़ आई तो पाटनी के निवास स्थान पर भी गई। हालांकि उस समय अशोक पाटनी किशनगढ़ से बाहर थे, लेकिन सीएम राजे ने परिवार की महिलाओं से मेहमान नवाजी करवाई। कांग्रेस के अशोक गहलोत हो या सचिन पायलट, दोनों ही समय-समय पर आरके मार्बल के किशनगढ़ स्थित संस्थान में मेहमाननवाजी करवाते रहे हैं।
मोदी सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर।
सवाल राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार का ही नहीं है, बल्कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार की प्रतिष्ठा का भी है। पूर्व में जब राजे सरकार ने वंडर सीमेंट की भूमि का आवंटन निरस्त किया था, तब यह कहा गया कि इसके पीछे मोदी सरकार का दबाव है। अब सवाल उठता है कि हालातों में ऐसा क्या बदलाव हो गया, जिससे निरस्त आवंटन को बहाल किया जा रहा है। बल्कि इस समय तो पीएम मोदी भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। नोटबंदी की परेशानियों से जूझ रही जनता को लगता है कि अब भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा। ऐसे में यदि वंडर सीमेंट को सैंकड़ों बीघा खनन भूमि आवंटित की जाती है तो फिर सरकार की भ्रष्टाचार समाप्त करने वाली मुहिम पर भी सवाल उठेंगे।
(एस.पी.मित्तल) (28-12-16)
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