अजमेर के लिए मायने रखता है कलेक्टर गोयल का पीएम मोदी के हाथों सम्मानित होना। सबके चेहते है गौरव। =
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 दिसम्बर को दिल्ली में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल को तब सम्मानित किया है, जब पीएम की पहल पर ही अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। आम तौर पर प्रशासन में ऐसा बहुत कम होता है जब कोई कलेक्टर सभी का चहेता हो। अजमेर के राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल के बीच भले ही आपसी संवाद भी ना हो, लेकिन ये दोनों कलेक्टर गोयल के प्रशंसक हैं। दोनों इस बात पर गर्व महसूस करते हंै कि कलेक्टर उनके घर आकर काम पूछते है। टेलीफोन पर भी देवनानी और भदेल को पूरा महत्व और सम्मान दिया जाता है। इसी प्रकार निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और एडीए के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा के बीच क्षेत्राधिकार अथवा कामकाज को लेकर मनमुटाव हो, लेकिन ये दोनों राजनेता कलेक्टर गोयल को अपना हितैषी मानते हंै। हेड़ा ने तो सीएम वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत आग्रह कर कलेक्टर गोयल को ही एडीए का आयुक्त बनवा दिया है। इसे कलेक्टर की भी सरलता कहा जाएगा कि वे हेड़ा के आयुक्त बनने को तैयार हो गए। मेयर गहलोत तो कलेक्टर को अपना छोटा भाई मानने लगे हैं और इसलिए अब दोनों अमरीका की यात्रा को जाने को तैयार हंै। अजमेर के बुजुर्ग सांसद और राज्य विकास आयोग के अध्यक्ष सांवललाल जाट के सम्मान में भी कोई कमी नहीं है। स्मार्ट सिटी के सीईओ की हैसियत से कलेक्टर गोयल को एक दफ्तर की सख्त आवश्यकता है। कलेक्ट्रट परिसर में ही डीआरडीए का पुराना दफ्तर खाली पड़ा है। कलेक्टर चाहे तो एक झटके में यहां स्मार्ट सिटी का ऑफिस खोल सकते हंै, लेकिन इस दफ्तर का उपयोग सांवरलाल जाट सांसद दफ्तर के रूप में कर रहे हैं इसलिए गोयल ने इस दफ्तर पर नजर नहीं लगाई। यह बात अलग है कि सांसद जाट इस दफ्तर में एक माह में मुश्किल से एक बार ही आते हंै। देखा जाए तो यह दफ्तर यूं ही वीरान पड़ा हुआ है। संसदीय सचिव सुरेश रावत और शत्रुघ्न गौतम भी गौरव गोयल को कलेक्टर के बजाए अपना मित्र समझते हैं। मसूदा की विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा से भी गोयल उनके मिजाज के अनुरूप संबंध बनाए हुए है। विधायक भागीरथ चौधरी का स्वभाव वैसे ही सरल है जबकि ब्यावर के विधायक शंकरसिंह रावत को भी कलेक्टर से कोई शिकायत नहीं है। भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष बी.पी.सारस्वत तो यूनिवर्सिटी के कार्यक्रमों में जब चाहे तब कलेक्टर को बुला लेते है। शहर अध्यक्ष अरविन्द यादव कभी भी चाय पिए बगैर कलेक्टर के पास से नहीं आते। यानि जिले में सत्तारूढ़ पार्टी का शायद ही कोई नेता होगा, जो कलेक्टर के व्यवहार से खुश न हो।
आरएएस खुद को समझते हैं कलेक्टर :
गौरव गोयल से पहले अजमेर में कलेक्टर के पद पर डॉ. आरुषि मलिक नियुक्त थी। एडीएम प्रशासन किशोर कुमार ने डॉ मलिक के साथ भी काम किया। डॉ मलिक से दफ्तर में भी मिलने में कितना तनाव होता था इसे किशोर कुमार अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन आज वो ही किशोर कुमार और अन्य अधीनस्थ अधिकारी जब चाहे तब कलेक्टर कक्ष का दरवाजा खोलकर गोयल से मुलाकात कर सकते हैं। इसे गोयल की प्रशासनिक सूझबूझ ही कहा जाएगा कि आरएएस अधिकारी अब स्वयं को कलेक्टर समझते है। ऐसी स्थिति कलेक्ट्रेट में बैठने वाले अफसरों की ही नहीं, बल्कि उपखंड स्तर पर तैनात अफसरों की भी है। किसी भी अधिकारी को किसी भी समय मोबाइल पर कलेक्टर से बात करने में कोई हिचक नहीं होती है।
कांग्रेसी भी खुश :
हालांकि इस समय कांग्रेस विपक्ष में है लेकिन जब कांग्रेस के नेता कलेक्टर के कक्ष में होते हैं तो उन्हें सत्ता में होने का ही एहसास होता है। यहीं वजह है कि जब कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के लिए कांग्रेसी आते हैं तो उनके बड़े नेता पहले से ही कलेक्टर को फोन पर बता देते हैं कि प्रदर्शन के दौरान क्या-क्या होगा। कांग्रेस के देहात अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और शहर अध्यक्ष विजय जैन को कलेक्टर के व्यवहार से कोई शिकायत नहीं है। नसीराबाद से कांग्रेस के विधायक रामनारायण गुर्जर तो कलेक्टर की प्रशंसा सीएम राजे के समक्ष भी कर चुके हैं।
सीएम की सिफारिश :
30 दिसम्बर को पीएम मोदी ने कलेक्टर गोयल का जो सम्मान किया, उसके पीछे सीएम वसुंधरा राजे की भी सिफारिश रही है। आमतौर पर कलेक्टर के व्यवहार को लेकर भाजपा के विधायक और नेता सीएम से शिकायत करते ही रहते हैं, लेकिन सीएम राजे को इस बात का संतोष है कि अजमेर जिले का कोई भी नेता कलेक्टर गौयल की शिकायत नहीं करता।
एस.पी.मित्तल) (31-12-16)
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