क्रिकेट के तरह सभी खेल संघों पर चलना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का डंडा। अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को बीसीसीआई से हटाया। =======
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2 जनवरी को चीफ जस्टिस टी.एस.ठाकुर की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अनुराग ठाकुर को अध्यक्ष और अजय शिर्के को बीसीसीआई के सचिव के पद से हटा दिया है। इन दोनों पर आरोप है कि जस्टिस एम.आर.लोढ़ा की कमेटी ने बीसीसीआई में सुधार के जो सुझाव दिए थे, उन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अमल नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिए अनुराग ठाकुर पर अवमानना का मामला भी चलाने के आदेश दिए गए हैं। सब जानते हैं कि क्रिकेट के नाम पर बीसीसीआई लूट खसोट का अड्डा बना हुआ है। कांग्रेस के शासन में शारद पवार अध्यक्ष रहे तो भाजपा के शासन में सांसद अनुराग ठाकुर अध्यक्ष बन गए। यानि लूट खसोट में भाजपा-कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की साझेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधार के लिए ठाकुर और शिर्के पर जो डंडा चलाया है, वैसा ही डंडा देश के लिए अन्य खेल संघों पर चलना चाहिए। खेल संघों के हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा सुरेश कलमाड़ी और अजय चौटाला को ओलम्पिक संघ का आजीवन अध्यक्ष बनाया जाना है। असल में देश के अधिकाश खेल संघों पर राजनेताओं और बड़े अफसरों का कब्जा है। एशियन और ओलम्पिक खेलों में खिलाडिय़ों से ज्यादा नेता और अफसर जाते हैं। नेता जिस प्रकार राजनीति में गंदगी करते हैं, वैसी गंदगी ही खेलों में की जाती है। खेल संघों पर कब्जा करने के लिए राजनीतिक दलों के नेता भी एकजुट हैं। सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि बीसीसीआई से नेताओं और अफसरों का कब्जा हटा कर खिलाडिय़ों को कमान सौंपी जाए। सुप्रीम कोर्ट को ऐसी कार्यवाही खेल संघों पर करनी चाहिए। समझ में नहीं आता कि जो लोग खेल की एबीसीडी नहीं जानते, वे अध्यक्ष और महासचिव बने हुए हैं। यदि खेल संघों की कमान पूर्व खिलाडिय़ों के पास होगी तो फिर भारत भी एशियन और ओलम्पिक खेलों में मैडल प्राप्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि देश के खेल संघों से नेताओं और अफसरों को हटाने के लिए स्वयं संज्ञान लें।
एस.पी.मित्तल) (02-01-17)
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