चुनाव और राजनीति के भंवर में आम बजट भी फंसा। जीएसटी भी एक अप्रैल से लागू होना मुश्किल। ==============
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इस बार केन्द्र सरकार के आम बजट को लेकर देश भर के लोगों में उत्सुकता के साथ-साथ अपेक्षाएं भी है। देश के नागरिक नोटबंदी के माहौल में राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। चूंकि इस बार रेल बजट भी आम बजट में शामिल है, इसलिए बजट का महत्व और बढ़ गया है। इस बार के आम बजट की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार 28 फरवरी के बजाए एक फरवरी को ही बजट प्रस्तुत करने जा रही है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार का आम बजट चुनाव और राजनीति के भंवर में फंस गया है। 4 जनवरी को चुनाव आयोग ने जैसे ही 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा की, वैसे ही राजनीतिक दलों ने मांग शुरू कर दी कि अब एक फरवरी को आम बजट प्रस्तुत नहीं किया जाए। ऐसे राजनीतिक दलों के नेताओं को लगता है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है इसलिए आम बजट में राहत की घोषणाएं कर भाजपा 5 राज्यों में राजनीतिक फायदा उठाएगी। 4 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने भी एक सवाल के जवाब में कहा कि आम बजट के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी है। यानि चुनाव आयोग भी यह चाहता है कि केन्द्र सरकार एक फरवरी को आम बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं करें जो चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करती हो। अब देखना है कि भंवर में फंसे बजट को केन्द्र सरकार किस प्रकार लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप प्रस्तुत करती है। हो सकता है कि एक फरवरी को सरकार का खर्च चलाने के लिए ही अन्तरिम बजट पेश किया जाए। चुनाव परिणाम के बाद राहत वाला बजट प्रस्तुत हो। यह तो तय है कि अब एक फरवरी वाले बजट में नागरिकों को कोई राहत नहीं मिल पाएगी।
जीएसटी भी मुश्किल में :
देश में एक समान कर प्रणाली यानि जीएसटी और बजट से पहले देशभर के वित्त मंत्रियों की एक बैठक 4 जनवरी को दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में हुई। सरकार ने जीएसटी बिल को संसद के दोनों सदनों में स्वीकृत करा रखा है और आगामी एक अप्रैल से देश भर में जीएसटी लागू होना है, लेकिन 4 जनवरी को जेटली की बैठक में दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जो तेवर दिखाए, उससे प्रतीत होता है कि देश के सभी राज्यों में जीएसटी लागू होना मुश्किल है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा तो बैठक का बायकाट कर बाहर आ गए। दलगत राजनीति की वजह से देश में जनता की भलाई की योजनाएं भी लागू नहीं हो पा रही हैं। सब जानते हैं कि जीएसटी के लागु होने से देश में कर प्रणाली एक सी होगी।
(एस.पी.मित्तल) (04-01-17)
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