थप्पड़ खाने के बाद भंसाली ने कहा फिल्म में नहीं हैं अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के प्रेम संबंध के सीन।
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29 जनवरी को मुम्बई में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली ने स्पष्ट किया है कि उनकी फिल्म में तुर्क शासक अलाउद्दीन खिलजी और चित्तौड़ की रानी पद्मावती के प्रेम संबंध वाले सीन नहीं है। भंसाली ने यह सफाई तब दी है जब 27 जनवरी को जयपुर के जयगढ़ किले में शूटिंग के दौरान उन्हें थप्पड़ खाने पड़े थे। सवाल उठता है कि भंसाली ने यह बात पहले क्यों नहीं कहीं? राजस्थान में करणी सेना के प्रमुख लोकेन्द्र सिंह कालवी ने 28 जनवरी को ही पत्रकारों को बताया था कि फिल्म में प्रेम संबंध के दृश्य नहीं है। इस बारे में भंसाली से कई बार जानकारी ली गई। यहां तक कि करणी सेना का एक शिष्ट मंडल भंसाली से मिलने के लिए मुम्बई गया। लिखित में भी नोटिस भेजे गए। फिल्म की कहानी को लेकर हाईकोर्ट में भी एक वाद दायर किया गया है, लेकिन भंसाली ने किसी भी स्तर पर यह नहीं कहा कि उनकी फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पदमावती के प्रेम संबंधों के सीन नहीं है। भंसाली की ओर से लगातार यही प्रसारित किया गया कि फिल्म दोनों के प्रेम संबंधों को लेकर बनाई जा रही है। यह बात भी सामने आई है कि भंसाली फ्लैश बैक में प्रेम दृश्य फिल्माने के लिए ही जयपुर के जयगढ़ किले में शूटिंग कर रहे हैं। चूंकि भंसाली की ओर से कोई सफाई अथवा कथन सामने नहीं आया इसलिए 27 जनवरी को शूटिंग के दौरान करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। इस हंगामे में ही भंसाली को थप्पड़ खाने पड़े। इन थप्पड़ों का ही असर हुआ कि मात्र दो दिन बाद ही भंसाली ने मुंबई में कह दिया कि उनकी फिल्म में प्रेम संबंध वाले सीन नहीं है। अच्छा होता कि भंसाली थप्पड़ खाने से पहले ही अपनी सफाई दे देते। भंसाली अब उलटा सवाल कर रहे हैं कि जब प्रेम दृश्य ही नहीं है तो फिर करणी सेना विवाद क्यों कर रही है। सवाल उठाने वाले भंसाली को भी पता है कि यदि करणी सेना विरोध नहीं करती तो भंसाली अपनी फिल्म में प्रेम संबंधों के सीन जरूर दिखाते। यदि भंसाली अपने पेशे के प्रति ईमानदार होते तो अपनी सफाई पहले ही दे देते। भंसाली यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी से बचने के लिए ही रानी पदमावती ने अग्नि कुंड मेंं कूद कर अपनी जान दे दी थी। अच्छा हो कि भंसाली रानी पद्मावती की वीरता को लेकर फिल्म बनाते। यदि आक्रमणकारी तुर्क शासक अलाउद्दीन खिलजी को लेकर फिल्म बनाएंगे तो करणी सेना की भावनाएं आहत होगी। इतिहास गवाह है कि अलाउद्दीन खिलजी जैसे शासकों ने हमारे देश पर कितना अत्याचार किया है। यदि भंसाली में हिम्मत हो तो अलाउद्दीन खिलजी जैसे शासकों के अत्याचारों पर फिल्म बनाए। इससे बड़ा अत्याचार और क्या हो सकता है कि पदमावती को हासिल करने के लिए उनके पति रतन सिंह और चित्तौड़ के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। अब यदि भंसाली अत्याचारी शासक का महिमा मंडन करेंगे तो करणी सेना थप्पड़ ही मारेगी। कुछ लोग अपनी विकृत मानसिकता के चलते भंसाली के समर्थन में खड़े हो गए हैं। क्या ऐसे समर्थक अपने परिवार की किसी महिला के प्रेम संबंधों के सीन भंसाली की फिल्म में शामिल करवा सकते हैं?
एस.पी.मित्तल) (29-01-17)
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