यह तो आयोग अध्यक्ष पंवार की जीत है, अब 13 हजार चयनितों को मिलेगी स्कूल व्याख्याता की नौकरी।

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आठ फरवरी को जोधपुर हाईकोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर ने स्कूली व्याख्याता परीक्षा के परिणाम पर जो फैसला दिया है, वह राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के पंवार की जीत है। हालांकि इस फैसले से राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार को भी राहत मिली है। लेकिन इस परीक्षा को लेकर आयोग के अध्यक्ष पंवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी। असल में 13 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा का जो फार्मूला निर्धारित किया गया था, उसमें पंवार की ही भूमिका थी। यदि हाईकोर्ट का फैसला खिलाफ होता तो सरकार के साथ-साथ पंवार की भी किरकिरी होती। आठ फरवरी के फैसले से यह साफ हो गया है कि स्कूली व्याख्याता की इतनी बड़ी भर्ती के लिए आयोग ने जो फार्मूला निर्धारित किया, वह सही था। सब जानते हैं कि पंवार ने विपरीत परिस्थितियों में आयोग के अध्यक्ष का पद संभाला था। लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरीके से परीक्षाओं का काम निपटाया, उसकी प्रशंसा सभी ने की है। इसी स्कूली व्याख्याता की परीक्षा में कोई सवा 3 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। परीक्षा के परिणाम के बाद ही यह मामला हाईकोर्ट में चला गया। हालांकि इस बीच आयोग ने आठ विषयों के करीब 2500 चयनित शिक्षकों को राज्य सरकार से नियुक्ति दिलवा दी थी, तीन विषयों के अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। जबकि आठ विषयों के अभ्यर्थियों की काउंसलिंग शेष थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आयोग अध्यक्ष पंवार ने दावे के साथ कहा है कि आगामी एक माह में बकाया प्रक्रिया को पूरा कर दिया जाएगा और जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली हैं, उन्हें नियुक्ति भी मिल जाएगी। पंवार ने माना कि यह फैसला आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता को भी प्रदर्शित करता है।
एस.पी.मित्तल) (07-02-17)
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