कुंदनसिंह रावत को कांग्रेस सेवादल का प्रदेश संगठक बनाए जाने पर अजमेर कांग्रेस में बवाल। यह है राजनीति का घालमेल। ==========
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कुंदनसिंह रावत को कांग्रेस सेवादल का प्रदेश संगठक बनाए जाने पर अजमेर कांग्रेस में बवाल। यह है राजनीति का घालमेल।
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अजमेर के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक और सरकार के संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत के सगे भाई कुंदन सिंह रावत को सेवादल का प्रदेश संगठक बनाए जाने पर अजमेर कांग्रेस में बवाल मच गया है। पूर्व मंत्री और सुरेश रावत से चुनाव में पराजित होने वाली श्रीमती नसीम अख्तर को कुंदन रावत की नियुक्त पर आश्चर्य है। श्रीमती अख्तर के यह समझ में नहीं आ रहा कि जिस व्यक्ति को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया था, उसे सेवादल में इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे दे दी गई? यह निलंबन भी श्रीमती अख्तर की शिकायत पर ही किया गया था। चंूकि विधानसभा चुनाव में कुंदन रावत ने अपने भाई भाजपा उम्मीदवार सुरेश रावत को जिताने का काम किया, इसलिए श्रीमती अख्तर ने लिखित में शिकायत की थी। इस संबंध में सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पारीक का कहना है कि उन्हें कुंदन रावत के कांग्रेस से निलंबन की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने जब से प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला है तभी से कुंदन सेवादल में सक्रिय हैं। मुझे नहीं पता कि विधानसभा के चुनाव में कुंदन ने कांग्रेस को हराने का काम किया। लेकिन मुझे यह पता है कि कुंदन ने गत लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार और तब के केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट के पक्ष में काम किया था। इसी प्रकार अजमेर देहात कांग्रेस के प्रभारी सुरज्ञान सिंह गोसलिया का कहना है कि मुझे तो यह भी जानकारी नहीं है कि कुंदन सिंह की नियुक्ति सेवादल में हुई है। यह बात सही है कि विधानसभा चुनाव के बाद कुंदन सिंह रावत नाम के नेता का निलंबन किया गया था। मैं यह पता करवाऊंगा कि कुंदन रावत का मामला क्या है। देहात कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने तो इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। राठौड़ ने कहा कि कुंदन को सेवादल का प्रदेश संगठक नियुक्त करने से पहले मुझ से कोई राय नहीं ली। कुंदन रावत के विरोधी भले ही उन्हें आज भी निष्कासित मानते हो, लेकिन कुंदन रावत स्वयं को कांग्रेस का वफादार सिपाही बताते है। कुंदन रावत का कहना है कि नसीराबाद के उपचुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने उन्हें भावानी खेड़ा और राजगढ़ ग्राम पंचायतों का प्रभारी बनाया था। यह दोनों ग्राम पंचायत रावत बहुल्य हैं। मैंने अथक मेहनत कर रावत मतदाताओं के वोट कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण गुर्जर को दिलवाए। यही वजह रही कि उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। कुंदन ने कहा कि मुझे मेरे निलंबन की कोई जानकारी नहीं है। जहां तक मेरे भाई सुरेश सिंह रावत का सवाल है तो वे भाजपा की राजनीति करते हैं और भाजपा की राजनीति से मेरा कोई सरोकार नहीं है।
सिनोदिया ने किया था निलंबन:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट से सीधे तौर पर जुड़े होने की वजह से कांग्रेस के छोटे नेता कुंदन सिंह रावत के निलंबन पर कुछ भी कहे, लेकिन रिकॉर्ड बताता है कि 29 नवम्बर 2013 को अजमेर देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाथूराम सिनोदिया ने कुंदन को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया था। सिनोदिया ने निलंबन का आदेश कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राजस्थान के प्रभारी गुरुदास कामत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव ओम राजोरिया के निर्देश पर किया था। सिनोदिया ने भी इस बात को स्वीकार किया कि कुंदन रावत को निलंबित किया गया था।
राजनीति का घालमेल:
कुंदन रावत को लेकर अजमेर कांग्रेस में जो बवाल मचा है, उसमें राजनीति का घालमेल नजर आता है। चूंकि अजमेर जिले में रावत मतदाताओं की संख्या अधिक है इसलिए रावत नेताओं की जरुरत हर राजनीतिक दल को रहती है। कुंदन रावत ने भी अपने राजनीतिक महत्त्व को बनाए रखने के लिए रावत महासभा के मुकाबले में रावत सेना बना रखी है। यह बात अलग है कि इस रावत सेना को ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत और उनके समर्थक मान्यता नहीं देते, लेकिन इस रावत सेना का पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। हो सकता है कि कुंदन रावत की राजनीति विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में अलग-अलग रहती हो। गत लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट के लिए काम करना भी कुंदन रावत के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव की पराजीत उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर कितने भी आरोप लगा दे, उनका कोई महत्त्व नहीं है।
एस.पी.मित्तल) (16-02-17)
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