जरुरत पड़ी तो दिव्यांगों को नहीं मिली सरकारी मदद। अजमेर में हुई नेशनल टी-20 नि:शक्तजन क्रिकेट प्रतियोगिता।
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10 मार्च को अजमेर के चन्दबरदाई नगर स्टेडियम में नेशनल टी-20 नि:शक्तजन क्रिकेट प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। तीन दिन चली इस प्रतियोगिता में देश की आठ टीमों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के समापन वाले दिन मुझे भी राजस्थान और कर्नाटक टीम के बीच खेले गए सेमीफाइनल मैच को देखने का अवसर मिला। मैंने खिलाडिय़ों का परिचय भी लिया और उनके बुलंद इरादों की प्रशंसा भी की। वाकई यह मायने रखता है कि दिव्यांग युवा क्रिकेट का मैच खेल रहे हैं। मैच के दौरान यह लगा ही नहीं कि मैदान पर दिव्यांग हैं। 120 की स्पीड से बोलिंग हुई तो मैदान के बहार चौके और छक्के भी देखने को मिले। आमतौर पर सरकार यह दावा करती है कि नि:शक्तजनों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन इस क्रिकेट प्रतियोगिता को आयोजित करने वाली संस्था एक नई पहल के अध्यक्ष रवि बंजारा और सचिव दुर्गेश शर्मा ने बताया कि प्रतियोगिता के लिए अजमेर प्रशासन और राज्य सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया। प्रतियोगिता शुरू होने से पहले अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने आश्वासन दिया था कि खेल स्टेडियम और स्टेडियम के कमरों को नि:शुल्क दिया जाएगा। लेकिन ऐन मौके पर प्राधिकरण ने सहयोग देने से इंकार कर दिया। जिस मैदान पर प्रतियोगिता हो रही है, उसके लिए भी 6 हजार रुपए प्राधिकरण में जमा करवाए गए हैं। बाहर से आने वाली टीमों को एक धर्मशाला में ठहराया गया, जिसका किराया 18 हजार रुपए है। राजस्थान कनार्टक, पश्चिम बंगाल, पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और दिल्ली की टीमों के डेढ़ सौ दिव्यांग खिलाडिय़ों के भोजन का इंतजाम भी चंदे से किया गया है। लॉयन्स क्लब उमंग की अध्यक्ष श्रीमती आभा गांधी और उनके समाजसेवी पति राजेन्द्र गांधी ने इधर-उधर से सहयोग दिलवाकर प्रतियोगिता के इंतजाम करवाए हैं। बंजारा और शर्मा ने कहा कि सरकारी की ओर से प्रतियोगिता के लिए कोई मदद नहीं मिलना अफसोस नाक है।
मान्यता के प्रयास :
राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई से मान्यता दिलवाने के लिए लोढ़ा कमेटी के समक्ष एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राम रेडी ने लोढ़ा कमेटी से आग्रह किया है कि जिस प्रकार बीसीसीआई कार्य प्रणाली है, उसी प्रकार दिव्यांग एसोसिएशन को भी अनुमति दी जाए इससे क्रिकेट में रुचि रखने वाले दिव्यांग युवाओं की हौंसला अफजाई होगी।
एस.पी.मित्तल) (10-03-17)
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