दरगाह दीवान आबेदीन को मिला ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन। बोर्ड ने भी तीन तलाक को इस्लाम विरोधी माना। ======================
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अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन ने तीन तलाक और गौवंश के मांस पर जो बयान दिया, उसे अब ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का भी समर्थन मिल गया है। ख्वाजा साहब के 805वें सालाना उर्स के समापन के मौके पर 2 अप्रैल को दीवान आबेदीन ने एक बयान जारी कर तीन तलाक को पवित्र कुरान की भावनाओं के विपरीत बताया था। साथ ही सरकार से गौवंश के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। दीवान ने इस बयान का सबसे ज्यादा विरोध उनके छोटे भाई अलाउद्दीन अलीमी ने ही किया। एक मुफ्ती से बात कर अलाउद्दीन ने अपने भाई जैनुल आबेदीन को दीवान के पद से ही हटाने की घोषणा कर दी। दीवान द्वारा दिए गए बयान की देशभर में चर्चा हुई, लेकिन 5 अप्रैल को ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की एक बैठक लखनऊ में हुई। इस बैठक मे बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मिर्जा मोहम्मद अशफाक और सचिव जहीर अब्बास ने माना कि तीन तलाक इस्लाम विरोधी है। इतना ही नहीं बैठक में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। यानि दरगाह दीवान ने जो बयान दिया उसका समर्थन शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी किया हालांकि दीवान के भाई अलाउद्दीन अलीमी ने 3 अप्रैल को ही यह दावा किया था कि वे देश के प्रमुख मुफ्तियों से जैनुल आबेदीन के खिलाफ फतवा मंगवाएंगे। लेकिन अलाउद्दीन को अभी तक भी फतवा जारी करवाने में सफलता नहीं मिली है। इस बीच पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान आ जाने से दीवान आबेदीन को और मजबूती मिली है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दीवान आबेदीन खास मौकों पर राष्ट्रहित में बयान जारी करते रहे हैं। ख्वाजा साहब के उर्स के मौके पर जब देश दुनिया के मुसलमान अजमेर आए हुए हैं, तब भी दीवान आबेदीन ने एक सकारात्मक पहल की है, जहां तक अलाउद्दीन अलीमी की गतिविधियों का सवाल है तो वह धार्मिक होने के बजाए पारिवारिक है। अलाउद्दीन भी चाहते हैं कि वे किसी न किसी तरीके से दरगाह दीवान की गद्दी पर काबिज हो जाए। यह बात अलग है कि दीवान के पद को लेकर कानूनी पेच फंसा हुआ है। महफिल के समय गद्दी पर बैठ जाने से ही अलाउद्दीन दरगाह के दीवान नहीं बन सकते। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जैनुल आबेदीन को ही दीवान माना है। गत वर्ष खादिमों की संस्था अंजुमन ने भी नजराने के बंटवारे पर जैनुल आबेदीन को ही दीवान मानकर समझौता किया है। आबेदीन ने आरोप लगाया है कि उनके भाई अलाउद्दीन अलीमी कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों के बहकावे में हैं। उन्हें आतंकवादियों से पहले भी धमकियां मिलती रही है।
(एस.पी.मित्तल) (06-04-17)
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