सूफी मुसलमान और हिन्दुओं को बसाने पर ही होगा कश्मीर का समाधान। अच्छा हो सुप्रीम कोर्ट के जज घाटी का दौरा करें। ===================

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जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका पर कश्मीर समस्या अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट इस समस्या का समाधान कैसे करेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन किसी भी प्रकार की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के संबंधित जजों को कश्मीर घाटी का दौरा कर लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की वातानुकूलित बिल्डिंग में बैठकर कोई भी जज घाटी के हालातों को समझ नहीं सकता। जजों को यह देखना चाहिए कि आतंकवादियों की गोलियों और अलगाववादियों के पत्थरों के बीच हमारे सुरक्षा बलों के जवान किस प्रकार काम करते हैं। आजादी के बाद से ही घाटी के हालात बिगड़ते रहे। संभवता यह पहला अवसर है, जब केंद्र सरकार ने अलगाववादियों से किसी भी प्रकार से वार्ता करने से इंकार कर दिया है। इससे उन नेताओं के अहम को चोट लगी है, जो पाकिस्तान के इस्लामाबाद और हमारी दिल्ली में सरकारी बिरयानी खा रहे थे। अलगाववादी अब यह साबित करने में लगे हुए हैं कि जब तक हम से वार्ता नहीं की जाएगी, तब तक घाटी में अशांति बनी रहेगी और पाकिस्तान से आतंकवादी आते रहेंगे व सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके जाते रहेंगे। मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट समस्या के समाधान का क्या रास्ता निकालेगा, लेकिन मेरा मानना है कि कश्मीर घाटी में सूफी मुसलमानों और हिंदुओं को बसाया जाना चाहिए। जब तक घाटी में देशभक्त नहीं रहेंगे तब तक शांति नहीं हो सकती है। मेरा यह भी मानना है कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रति अकीदत रखने वाले किसी भी मुसलमान को हिंदुओं के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है। वैसे भी ख्वाजा साहब का सूफीवाद भाईचारे का पैगाम देता है। असल में घाटी में उन तत्वों का बोलबाला है, जो कश्मीरियों को हिंदुओं के साथ रहने नहीं देना चाहते। यही वजह रही कि 4 लाख हिन्दुओं को पीट-पीटकर घाटी से भगा दिया गया। कश्मीर में अमन-चैन के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को भी हटाना पड़ेगा। समझ में नहीं आता कि जो कश्मीरी खुलेआम हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंककर आजादी की मांग करते हैं, उन्हें अनुच्छेद 370 का विशेष लाभ क्यों दिया जा रहा है? पूरी दुनिया में भारत ऐसा मुल्क होगा, जो देश के विभाजन की मांग करने वालों को ही विशेष सुविधाएं दे रहा है जबकि अनुच्छेद 370 का लाभ कश्मीर को छोड़कर देश में रहने वाले किसी भी मुसलमान को नहीं मिल रहा। जो अलगाववादी हमारे कश्मीर के हालात बिगड़ रहे हैं, उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर के मुसलमानों की स्थिति देखनी चाहिए। क्या पीओके के किसी मुसलमान को हमारे कश्मीर की तरह अनुच्छेद 370 की सुविधाएं मिल रही हैं? अच्छा हो, अलगाववादी पाकिस्तान में बैठे भारत विरोधी कट्टरपंथियों के इशारों पर नाचने के बजाय पीओके में रह रहे मुसलमानों की स्थिति को सुधारने का अभियान चलाएं।
(एस.पी.मित्तल) (29-04-17)
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