तो राहुल गांधी बताएं कश्मीर समस्या के समाधान के लिए और क्या किया जाए? अलगाववादियों का चेहरा हुआ बेनकाब तो अब आतंकी भी निशाने पर।

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तो राहुल गांधी बताएं कश्मीर समस्या के समाधान के लिए और क्या किया जाए? अलगाववादियों का चेहरा हुआ बेनकाब तो अब आतंकी भी निशाने पर।
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5 मई को सीआरपीएफ के मुस्तैद जवानों ने कश्मीर घाटी के बान्दीपोरा में 4 फियादीन आतंकियों को ढ़ेर कर दिया। लम्बे अर्सें बाद यह सुखद अनुभव रहा कि जब फिदायीन आतंकी सीआरपीएफ के कैंप पर हमला करने आए थे, तब जवानों ने पहले ही ढ़ेर कर दिया। पहले के दिनों में कई बार यह देखा गया कि फिदायीन आतंकी सेना और सीआरपीएफ के कैंप में घुसने में कामयाब रहे। पांच जून को ही कश्मीर में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को हिरासत में लिया गया तो मीर वाइज को घर में नजरबंद। अनेक अलगाववादी नेता भूमिगत हो गए हैं। पाकिस्तान से फण्डिंग लेकर घाटी में पत्थरबाजी करवाने के मामले में ऐसे नेताओं का चेहरा बेनकाब हो गया है। लम्बे अर्सें बाद यह पहला अवसर है, जब अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही की गई है। इतना ही नहीं सीमा पार भी राकेट लांचर गिराकर आतंकवादियों की कमर तोड़ी गई है। दूसरी तरफ लाख आलोचनाओं के बाद भी बर्मिंघम में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच करवा दिया गया। ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश न जाए कि भारत दोस्ती का इच्छुक नहीं है। अभी हाल ही में यूपीएससी के माध्यम से कश्मीर के 14 युवाओं का चयन अखिल भारतीय सेवाओं में हुआ। यानि वो सब किया जा रहा है, जिससे कश्मीर की समस्या का समाधान हो सके। वहीं एक दिन पहले ही कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान में केन्द्र सरकार विफल रही है। यह माना कि सत्ता में आने से पहले जो बड़े-बड़े वायदे किए गए थे, उन सभी को अभी पूरा नहीं किया गया है। जो लोग सत्ता में बैठे हैं, वे अपने वायदों पर मंथन भी कर रहे होंगे, लेकिन अच्छा होता कि राहुल गांधी यह भी बताते कि समस्या के समाधान के लिए और क्या किया जाए ? राहुल गांधी उस कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता है, जिसने इस देश पर 50 वर्षों से भी ज्यादा शासन किया है। कश्मीर में भी या तो कांग्रेस का या फिर कांग्रेस की मदद से ही किसी पार्टी का शासन रहा है। राहुल गांधी माने या नहीं लेकिन कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए जो नीति अपनाई, उसी का परिणाम रहा कि 4 लाख हिन्दुओं को कश्मीर घाटी से पीट-पीटकर भगा दिया गया। क्या राहुल गांधी और उनके सहयोगी दल हिन्दुओं को पीटने से बचा पाए? यदि कांग्रेस हिन्दुओं की मदद करती तो घाटी से अपना घर छोड़कर भागना नहीं पड़ता। आज कश्मीर घाटी के चार जिले पूरी तरह अलगाववादियों के कब्जे में है। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि बदले हुए हालातों में ही अलगाववादी नेताओं का चेहरा बेनकाब हो रहा है और सुरक्षा बल अपने विवेक से आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (05-06-17)
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