तो टाटा पावर के सीईओ प्रवीर सिन्हा और डिस्कॉम के एमडी विश्नोई के दावों की एक ही दिन में दिल्ली में भाजपा ने पोल खोली। जब दिल्ली में बिजली व्यवस्था खराब है तो अजमेर में अच्छी कैसे होगी?
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तो टाटा पावर के सीईओ प्रवीर सिन्हा और डिस्कॉम के एमडी विश्नोई के दावों की एक ही दिन में दिल्ली में भाजपा ने पोल खोली।
जब दिल्ली में बिजली व्यवस्था खराब है तो अजमेर में अच्छी कैसे होगी?
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8 जून को दिल्ली में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। भाजपा का आरोप रहा कि भीषण गर्मी में दिल्ली में बिजली व्यवस्था पूरी तरह खराब पड़ी है। कटौती और अनियमित सप्लाई के वजह से आम उपभोक्ता बेहद परेशान हैं। दिल्ली में प्रदर्शन कर भाजपा ने टाटा पावर कंपनी के सीईओ प्रवीर सिन्हा और अजमेर में डिस्कॉम के एमडी मेहराम विश्नोई के दावों की पोल खोलकर रख दी है। अजमेर में शहर में 18 जून से बिजली व्यवस्था का काम टाटा पावर ही संभालेगी। 7 जून को टाटा पावर के सीईओ ने अजमेर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सीईओ सिन्हा का कहना रहा कि अब अजमेर के नागरिकों को भी दिल्ली और मुम्बई जैसी बेहतर सुविधा मिलेगी। सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में 2002 में जब उनकी कंपनी ने काम संभाला था, तब हालात बेहद खराब थे। 53 प्रतिशत की छीजत थी। लेकिन अब वर्ष 2017 में छीजत मात्र 8.8 प्रतिशत ही रही और वितरण व्यवस्था बेहतर है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद डिस्कॉम एमडी विश्नोई ने भी टाटा पावर के कामकाज की प्रशंसा की। लेकिन 8 जून को दिल्ली में भाजपा के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन बताता है कि टाटा पावर की कथनी और करनी में अंतर है। यदि दिल्ली में टाटा पावर का काम अच्छा होता तो भाजपा को प्रदर्शन नहीं करना पड़ता।
चूंकि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है, इसलिए गलत हो ही नहीं सकता। लेकिन भाजपा के सामने सवाल यह है कि जब दिल्ली में बिजली की व्यवस्था सही नहीं है तो फिर राजस्थान में उन्हीं के शासन में अजमेर में टाटा पावर को ही व्यवस्था क्यों दी जा रही है?क्या आने वाले दिनों में दिल्ली की तरह अजमेर में भी भाजपा के कार्यकर्ता बिजली व्यवस्था के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। बिगत दिनों ही कोटा के भाजपा सांसद ओम बिड़ला ने कोटा की बिजली व्यवस्था पर नाराजगी प्रकट की थी। कोटा में भी एक प्राइवेट कंपनी को काम सौंपा गया है। अजमेर के भाजपा के नेताओं को दिल्ली के कार्यकर्ताओं और कोटा के सांसद के विरोध से सबक लेना चाहिए। अजमेर की बिजली व्यवस्था को प्राइवेट हाथों में देने पर अभी तक किसी भी नेता ने ऐतराज नहीं किया है।
एस.पी.मित्तल) (08-06-17)
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