भारत की सनातन संस्कृति का सम्मान करते हैं विदेशी। बैंकाक में रामकथा का वाचन कर अजमेर लौटीं स्वामी अनादि सरस्वती।
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अजमेर स्थित चित्ती प्रतिष्ठान की अधिष्ठात्री स्वामी अनादि सरस्वती ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति का विदेशों में बेहद सम्मान है। विदेशी हमारी संस्कृति को आध्यात्म से जुड़ा हुआ मानते हैं। थाईलैण्ड के बैंकाक में 9 से 11 जून तक रामकथा का वाचन करने के बाद अजमेर लौटीं स्वामी अनादि सरस्वती ने 15 जून को पत्रकारों को बताया कि हमारी सनातन संस्कृति को देखने और समझने के लिए ही बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भारत आते हैं। उन्होंने स्वयं महसूस किया कि रामकथा को बैंकाक के लोगों ने गंभीर होकर सुना। ऐसे बहुत से सवाल किए, जिनका जवाब हमारी संस्कृति के माध्यम से ही दिया जा सकता है। बैंकाक में जहां हर जीव को खाने का चलन है, वहीं हमारे यहां नाग को भी देवता मान कर पूजा जाता है। अहिंसा की इससे बड़ी सीख और क्या हो सकती है कि हम चींटी को भी मारना नहीं चाहते हैं। धर्म परायण होने की वजह से ही चींटियों को आटा डाला जाता है। आधुनिकता के दौर में हम पश्चिम की संस्कृति को अपना रहे हैं जबकि पश्चिम के लोग हमारी संस्कृति से अपना बिगड़ा हुआ जीवन सुधार रहे हैं। बैंकाक के विष्णु मंदिर परिसर में हुई तीन दिवसीय रामकथा को सुनने के लिए फ्रांस की राजकुमारी ईसाबेल के साथ थाईलैण्ड के राजपरिवार के सदस्य भी उपस्थित रहे। विष्णु मंदिर में हमारी सनातन संस्कृति के प्रतीत पताका को भी स्थापित किया।
एस.पी.मित्तल) (15-06-17)
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