तो पुलिस थानों पर बिना रिश्वत काम नहीं होता। बांसवाड़ा सदर का थानेदार 4 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया।
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तो पुलिस थानों पर बिना रिश्वत काम नहीं होता। बांसवाड़ा सदर का थानेदार 4 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया।
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17 जून को राजस्थान के बांसवाड़ा सदर थाने के थानेदार गोकुलराम को 4 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया। एसीबी आए दिन रिश्वतखोर पुलिस वालों को पकड़ रही है। लेकिन फिर भी रिश्वतखोरी पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है। इससे प्रतीत होता है कि राजस्थान के पुलिस स्टेशनों पर रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता। 13 जून को तो जोधपुर थाने के थानेदार कमलदान चारण को एसीबी ने तब गिरफ्तार किया। जब वह रिश्वत की एवज में एक महिला की अस्मत लेने पर उतारू था। 15 जून को एक समारोह में जब एडीजी इंदू भूषण ने चारण और पुलिस में फैले भ्रष्टाचार का मामला उठाया तो दूसरे एडीजी पी के सिंह ने कहा कि एक व्यक्ति के कारण पूरा पुलिस महकमा भ्रष्ट और चरित्रहीन नहीं होता हैं। जिन लोगों का पुलिस से वास्ता पड़ता है उन्हें अच्छी तरह पता है कि थाने पर कैसा व्यवहार होता है। पुलिस को भ्रष्ट बनाने में राजनेताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। जो थानेदार विधायक, सांसद अथवा मंत्री की सिफारिश से मलाईदार थाने पर नियुक्त होता है वह भेड़ पर ऊन नहीं छोडऩे की कहावत को चरितार्थ करता है। यदि पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारी की संपत्ति की जांच हो जाए तो पुलिस में फैले भ्रष्टाचार का पता लग सकता है। सब जानते है कि राजस्थान में पुलिस के अधिकारी ही एसीबी में तैनात होते हैं। यदि एसीबी में चयन प्रक्रिया अलग से हो तो भ्रष्टाचार के मामले और अधिक पकड़े जा सकते है। कई बार यह भी देखा गया है कि आईपीएस और आरपीएस अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी संपत्तियों को उजागर करते हंै।
एस.पी.मित्तल) (17-06-17)
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