तो सिर्फ विरोध के लिए बनाया मीरा कुमार को उम्मीदवार। एनडीए की रणनीति अब अधिक मतों से जीतने की। ============
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22 जून को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की पहल पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार उम्मीदवार होगीं। सोनिया गांधी के आमंत्रण पर जो राजनीतिक दलों के नेता एकत्रित हुए, उन्हें भी पता था कि साझा उम्मीदवार की जीत नहीं हो सकती हैं। लेकिन एनडीए का उम्मीदवार निर्विरोध न चुना जाए इसलिए मीरा कुमार को उम्मीदवार घोषित किया गया। सब जानते हैं कि मीरा कुमार कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे बाबू जगजीवन राम की पुत्री है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश के पिछड़े वर्ग के लोगों में बाबू जगजीवन राम की मजबूत स्थिति थी, लेकिन यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि श्रीमती इंदिरा गांधी की नीतियों की वजह से ही बाबू जगजीवन राम को कांग्रेस छोडऩी पड़ी थी। बाबू जगजीवन राम ने कांग्रेस के खिलाफ ही नया राजनीतिक दल बनाया था। हालांकि बाद में जगजीवन राम फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। जहां तक मीरा कुमार की उम्मीदवारी का सवाल है तो विपक्ष की एकता पहले ही टूट चुकी है। नितीश कुमार और मुलायम सिंह जैसे नेता पहले ही एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि 22 जून को जो दल विपक्ष की बैठक में उपस्थित थे, उनमें से कई दल आने वाले दिनों में कोविंद के साथ जा सकते हैं। अब एनडीए का भी यह प्रयास होगा कि अधिक से अधिक मतों से कोविंद की जीत को सुनिश्चित किया जाए। 23 जून को होने वाले नामांकन के समय भी एनडीए अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा।
एस.पी.मित्तल) (22-06-17)
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