ललित के. पंवार की अब यूपीएससी में जाने की तैयारी। नहीं तो कांग्रेस के टिकिट पर बाड़मेर से लड़ेंगे चुनाव। ==============
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राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद से ललित के.पवार 10 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे है। लेकिन पंवार 7 जुलाई तक ही अध्यक्ष के बेतौर काम करेंगे। इसलिए 6 जुलाई को ही पत्रकारों को बुलाकर पंवार ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों की जानकारी दी। इसमें कोई दो राय नहीं कि दो वर्ष पहले जब पंवार ने अध्यक्ष का पदभार संभाला था, तब आयोग बदनामी के अंतिम छोर पर खड़ा था। आयोग का कामकाज पूरी तरह ठप था और हबीब खान गौरान के अध्यक्ष के कार्यकाल के चर्चे आम थे। लेकिन पंवार ने पद संभालते ही आयोग की विभिन्न परीक्षाओं को समय पर करवाया और प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के मन में वापस भरोसा जताया। यह बात अलग है कि कानूनी पेचीदगियों के चलते पंवार को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। कॉलेज लेक्चर की परीक्षा के मार्क जारी किए बगैर ही इंटरव्यू लिए जा रहे है। पंवार के दो वर्ष के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि उनका मधुर व्यवहार रही है। पंवार ने किसी से भी मुलाकात करने से कभी भी गुरेज न हीं किया। आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय के बाहर जो अभ्यर्थी धरना-प्रदर्शन और पंवार का पुतला जलाते थे उन्हें भी अपने कक्ष में बुला कर न केवल सम्मान दिया बल्कि उन्हें चाय भी पिलाई। अभ्यर्थी से सीधा संवाद कर पंवार ने आयोग की अनेक समस्याओं का समाधान सरलता के साथ कर दिया। कुल मिलाकर पंवार के कार्यकाल को संतोषजनक कहा जा सकता है।
तकदीर के धनी :
राजस्थान कैडर के आईएएस रहे पंवार तकदीर के धनी है। जब राजस्थान में पर्यटन विभाग के सचिव थे, तब उन्होंने ‘पधारो म्हारो देशÓ का स्लोगन देकर देश भर में प्रसिद्धि पाई। यही प्रसिद्धि पंवार को बाद में केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर ले गई। जानकारों की माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पंवार के कामकाज से खुश रहे। यही वजह रही कि आईएएस के पद से सेवानिवृत्त होते ही पंवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। यानि पंवार की नियुक्ति में राज्य की भाजपा सरकार के बजाय केन्द्र की मोदी सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण रही। यही वजह थी कि उस समय पंवार की नियुक्ति राजस्थान में चौकाने वाली थी।
यूपीएससी में जाने की तैयारी :
केन्द्र सरकार में रहते हुए पंवार ने जो रसूकात बनाए उसके मद्देनजर ही अब संघ लोक सेवा आयोग में जाने की तैयारी है। यूपीएससी का सदस्य बनने के लिए पंवार राजस्थान लोक सेवा आयोग की उपलब्धियों को आगे रख रहे हंै। यदि पंवार यूपीएससी का सदस्य बनने में सफल होते हैं तो वे आगामी तीन वर्षो तक कामकाज कर सकेंगे। यूपीएससी में 65 वर्ष की उम्र तक काम किया जा सकता है। चूंकि राजस्थान के आयोग ने सेवानिवृत्ति की अधिकतम उम्र 62 वर्ष है, इसलिए पंवार को अध्यक्ष का पद छोडऩा पड़ रहा है। पंवार 60 वर्ष की उम्र होने पर आईएएस से रिटायर्ड हुए थे।
नहीं तो लड़ेंगे चुनाव :
यदि पंवार को यूपीएससी में जाने में सफलता नहीं मिलती है तो पंवार अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव में राजस्थान के बाड़मेर से चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा कि पंवार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। भले ही पंवार ने भाजपा की सरकार में आईएएस की सेवानिवृत्ति के बाद महत्वपूर्ण पद हासिल किया हो, लेकिन राजनीति में उनके संबंध कांग्रेस के नेताओं से अच्छे हैं। पंवार ने चोहटन विधानसभा क्षेत्र पर विशेष ध्यान लगा रखा है।
एस.पी.मित्तल) (06-07-17)
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