तो क्या फिर से आर.डी. सैनी ही संभालेंगे आरपीएससी के अध्यक्ष का काम ? पंवार ने सर्किट हाऊस के कमरे में ही गुजार दिए दो वर्ष। ====

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10 जुलाई को अजमेर स्थित राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के फुल कमीशन की बैठक होगी और इसी बैठक में ललित के. पंवार आयोग अध्यक्ष के पद से कार्यमुक्त हो जाएंगे। 62 वर्ष की उम्र हो जाने की वजह से पंवार 10 जुलाई के बाद आयोग के अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकेंगे। यदि राज्य सरकार के दिशा-निर्देंश नहीं मिले तो आयोग के नियमों के अंतर्गत पंवार सबसे वरिष्ठ सदस्य आर.डी. सैनी को चार्ज दे देंगे। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि दो वर्ष पहले भी पंवार ने सैनी से ही अध्यक्ष का पद संभाला था। हबीब खान गौरान के हटने के बाद सैनी को ही कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। यानि यह दूसरा अवसर होगा जब सैनी कार्यवाहक अध्यक्ष बनेंगे। हो सकता है कि राज्य सरकार 10 जुलाई को आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दे। हालांकि अभी नए अध्यक्ष को लेकर पूर्ण गोपनीयता बरती जा रही है। पंवार के रिटायरमेंट के बाद आयोग में 6 सदस्य रह जाएंगे। इनमें से तीन आर.डी. सैनी, सुरजीत लाल मीणा और के.एल. बागडिय़ा की नियुक्ति कांग्रेस के पिछले शासन में हुई थी। जबकि श्याम सुंदर शर्मा, एस.एस. राठौड़ और राजकुमारी गुर्जर की नियुक्ति वर्तमान भाजपा की सरकार में हुई है। लेकिन वर्तमान सभी 6 सदस्यों में से किसी के भी अध्यक्ष बनने की संभावना नहीं है। चूंकि तीन सदस्य तो कांग्रेस शासन के हैं, इसलिए इनमें से तो अध्यक्ष बनने का सवाल ही नहीं उठता। जबकि भाजपा शासन वाले तीन सदस्यों को अध्यक्ष के काबिल नहीं माना जा रहा है। सरकार की मंशा ललित के. पंवार जैसे किसी रिटायर्ड आईएएस को अध्यक्ष बनाने की है। राज्य सरकार का मानना है कि पंवार ने आयोग के कामकाज को जो गति दी, उसे बनाए रखा जाए। सरकार भी मानती है कि पंवार ने बड़े पैमाने पर भर्तियों का काम तेजी से किया। पंवार को ही अध्यक्ष बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केन्द्र सरकार से नियमों में बदलाव के भी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। आयोग में अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष ही है।
दो वर्ष सर्किट हाऊस के कमरे में :
हालांकि आयोग के अध्यक्ष के लिए सरकारी बंगला आरक्षित है। लेकिन पंवार ने इस आरक्षित बंगले का उपयोग नहीं किया। पंवार ने पूरे दो वर्ष सर्किट हाऊस के एक कमरे में ही गुजार दिए। माना जा रहा है कि अध्यक्ष के लिए आरक्षित बंगले को पंवार ने शुभ नहीं माना। पंवार से पहले इस बंगले में हबीब खान गौरान अध्यक्ष के तौर पर रहते थे। लेकिन गौरान एसीबी के शिकंजे में फंस गए। गौरान के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे देखते हुए पंवार ने आरक्षित बंगले में रहना उचित नहीं समझा। कठिनाईयों को झेलते हुए पंवार सर्किट हाऊस के कमरे में ही रह लिए।
(एस.पी.मित्तल) (09-07-17)
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