राहुल गांधी से चीन के राजदूत की मुलाकात को क्यों छिपाया कांगेस ने। चीन अब भारत में ही राजनीतिक विवाद खड़ा करना चाहता है। ============

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आजादी के बाद यह पहला मौका है जब भारत चीन के सामने सीना तान कर खड़ा है। चीन की युद्ध की चेतावनी और धमकी के बाद भी भारत ने सिक्कम के पहाड़ी क्षेत्रों से सेना के जवानों को नहीं हटाया है। इस बार भारत ने जिस दृढ़ता का परिचय दिया, उससे चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। भारत ने चीन के प्रति कड़ा रूख इसलिए भी अपनाया क्योंकि चीन हर बार पाकिस्तान में बैठे भारत विरोधी आतंकियों का समर्थन करता है। अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में शायद ही कोई देश चीन के सामने सीना तान कर खड़ा हो। यहां तक की अमेरिका जैसा ताकतवर देश भी चीन के प्रति नरम रूख रखता है। जब भारत अपनी अखण्ड़ता के लिए चीन को चुनौती दे रहा है, तब कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुपके से भारत स्थित चीन के राजदूत लो जेवाई से मुलाकात कर ली। अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीनी राजदूत और राहुल गांधी के बीच किस तरह की बात हुई होगी। चीन के राजदूत ने भारत में ही राजनीतिक विवाद खड़ा करने की नियत से राहुल गांधी से मुलाकात की। सवाल राहुल की मुलाकात पर नहीं है। सवाल इस मुलाकात को छिपाने का है। लो-जेवाई और राहुल की मुलाकात 8 जुलाई को हुई थी। आम तौर पर विदेशी राजनयिक भारत के राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलते रहते हैं, लेकिन कोई दल ऐसी मुलाकातों को छिपाता नहीं हंै। 8 जुलाई की मुलाकात पर पहले तो कांग्रेस ने इंकार कर दिया। लेकिन जब 10 जुलाई को इस मुलाकात के सबूत मीडिया में जारी हुए तो कांग्रेस ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया। यह माना कि कांग्रेस और राहुल गांधी भाजपा और पीएम नरेन्द्र मोदी से बेहद खफा है। कांग्रेस की लगातार हार से राहुल गुस्से में भी है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि चीन जैसे देश को मदद करने वाला कृत्य किया जाए। अच्छा होता कि राहुल गांधी 8 जुलाई को ही मीडिया के सामने आकर चीनी राजदूत की मुलाकात का ब्यौरा देते। राहुल गांधी को ही एक देशभक्त नागरिक की तरह चीन को हमारे सिक्कम से दूर रहने की बात करनी चाहिए थी।
चीन में नहीं हो सकती विरोधियों से मुलाकात :
चीन के राजदूत से गुपचुप में मुलाकात करने वाले राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि चीन में सरकार के विरोधियों से कोई मुलाकात नहीं हो सकती है। भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था इसलिए चीन के राजदूत ने बड़ी आसानी से राहुल गांधी से मुलाकात कर ली। जबकि चीन में एक छत्र कम्यूनिस्ट पार्टी का शासन है। यहां चुनाव होते ही नहीं है, सिर्फ कम्यूनिस्ट पार्टी के पदाधिकारियों का ही चयन होता है। भारत ही नहीं किसी भी देश के राजदूत को चीन में सरकार विरोधी नेताओं से मिलने की इजाजत नहीं है। अव्वल तो चीन विरोधी को गोली मार दी जाती है या फिर आजीवन जेल में डाल दिया जाता है।
एस.पी.मित्तल) (10-07-17)
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