आरएएस आशुतोष गुप्ता को जयपुर के जवाहर सर्किल थाने पर बुरी तरह पीटा। शराब कारोबारी हावी रहे पुलिस पर।

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आरएएस आशुतोष गुप्ता को जयपुर के जवाहर सर्किल थाने पर बुरी तरह पीटा। शराब कारोबारी हावी रहे पुलिस पर।
20 जुलाई की रात को जयपुर के जवाहर सर्किल थाने में आरएएस आशुतोष गुप्ता को बुरी तरह पीटा गया। शराब कारोबार से जुड़े दबंग लोगों ने पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में ही गुप्ता की लात घुंसों से पिटाई की। गुप्ता ने कहा भी की वे राजस्थान सरकार के उपमुख्य सचेतक मदन राठौड़ के निजी सहायक हैं, लेकिन दबंगों ने कोई परवाह नहीं की। अब गुप्ता का चलना फिरना भी मुश्किल हो रहा है। गुप्ता की पत्नी श्रीमती प्रिया भार्गव भी आरएएस हैं और वर्तमान में अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में विशेषाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। 21 जुलाई को प्रिया भार्गव ने अजमेर रेंज की आईजी मालिनी अग्रवाल को अपने पति की पीड़ा के बारे में बताया। मालिनी अग्रवाल के पति संजय अग्रवाल इस समय जयपुर के पुलिस आयुक्त हैं। प्रिया भार्गव ने जवाहर सर्किल के थानाधिकारी राजेश सोनी पर भी गंभीर आरोप लगाए। प्रिया भार्गव ने पुलिस के इन आरोपों को झूठा बताया कि पार्किंग विवाद में उनके पति ने किसी बुजुर्ग गोपाल लाल शर्मा को लात मारी। पुलिस ने यह भी झूठ कहा कि आशुतोष गुप्ता नशे में थे। प्रिया भार्गव का कहना रहा कि मैं उनकी पत्नी हंू और दावे के साथ कह सकती हंू कि मेरे पति शराब नहीं पीते। यदि कोई अपराध किया है तो पुलिस को कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए थी। आईजी मालिनी अग्रवाल ने भरोसा दिया कि पूरे मामले में न्यायपूर्ण कार्यवाही की जाएगी। श्रीमती अग्रवाल ने जयपुर पुलिस के अधिकारी से भी संवाद किया। प्रिया भार्गव ने आरएएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने अजमेर जिला कलेक्टर गौरव गोयल से भी मदद मांगी है।
पुलिस थाने में अपने साथ हुए दुव्र्यवहार को लेकर आशुतोष गुप्ता ने एक बयान जारी किया है।
आज समाचार पत्रों में मेरे विरुद्ध जो भ्रामक एवं षड्यंत्रपूर्वक एक समाचार प्रकाशित किया गया। विगत 1 वर्ष से मैं विशिष्ट सहायक, सरकारी उप मुख्य सचेतक श्री मदन राठौड़ साहब के विशिष्ट सहायक पद पर कार्यरत हूँ। मेरे द्वारा राजकीय आवास ना लिया जाकर मालवीय नगर D ब्लॉक् स्थित एक 1BHK फ्लैट किराए पर लिया था। प्रारम्भ से ही वहां पार्किंग की समस्या थी तथा निरंतर पार्किग को लेकर कहा सुनी चलती रहती थी। मेरी दैनिक दिनचर्या के मुताबिक शाम 7.30 से 9.30 बजे गौरव टावर स्थित गोल्ड जिम में जाकर वर्क आउट करता हूँ। कल जिम के पश्चात 9.30 बजे जब मैं अपने घर पहुंचा तो मकान मालिक के कुछ मेहमान आये हुए थे जिस कारणवश वहाँ पार्किंग उपलब्ध नही थी। कुछ देर विचार करने के उपरांत मेरे घर से 5 7 घर दूर एक खाली स्थान पर मैंने स्वयं का वाहन पार्क किया। गाड़ी से उतरते ही सामने वाले घर से 2 व्यक्ति बाहर आये तथा तुरंत भद्दी गालियाँ एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। मेरे द्वारा प्रतिकार एवम प्रतिरोध करने पर 2 मिनट में उस व्यक्ति ने रिवाल्वर/ कट्टा अपनी गाड़ी से बाहर निकाल कर मुझ पर फायर करने की धमकी दी। तब तक वहाँ काफी लोग इकट्ठा हो चुके थे। उन सबसे बच कर मैं पुनः अपने वाहन की ओर दौड़ा ….लेकिन 8 10 गुंडों ने मेरी गाड़ी का दरवाज़ा जबरन पकड़ लिया तथा मुझे खींच कर बाहर निकालने लगे। पूरी जान की बाज़ी लगा कर मैं अपने वाहन में बैठ कर घटना स्थल से 1 km दूर चला गया जहाँ से मैंने मेरे बैच मेट श्री योगेश दाधीच IPS को फोन लगाया, जो कि डीसीपी पूर्व पर पद स्थापित है तथा उन्हें सम्पूर्ण घटना क्रम से अवगत करवाया। अगले 10 मिनट में जवाहर सर्किल थाने से SHO और ड्राइवर मुझे आते हुए दिखाई दिए। पुलिस के आने के उपरांत मैं थोड़ा आश्वस्त हुआ तथा अपनी गाड़ी के साथ उनके पीछे ही आ गया। यही शायद मेरी सबसे बड़ी भूल थी कि पुलिस संरंक्षण में मैं सुरक्षित हूँ। वहाँ पर उन लोगों ने कम से कम 50 गुंडे एवं असामाजिक तत्व इकट्ठे कर लिए तथा पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में मेरे ऊपर 15 से 20 व्यक्ति टूट पड़े। पुलिस की ओर से मुझे बचाने का मात्र उपक्रम ही किया गया। लगभग 8 से 10 मिनट तक मैंने उन असामाजिक एवम गुंडा तत्वों से लात, घूंसों, से मार खाई तथा निहत्थे उनका मुकाबला किया। पुलिस का ऐसा नग्न स्वरूप 22 वर्ष के सेवाकाल में संभवतः पहली बार देखने को मिला। बड़ी मुश्किल से मैं पुलिस के वाहन से जवाहर सर्किल थाने आया। वहाँ का नज़ारा तथा SHO से लेकर ASI, कांस्टेबल , दीवान आदि का आचरण और भाषा कल्पना से परे थी। मुझसे तू- तड़ाक और गाली गलौच तक पुलिस कर्मियों द्वारा की गई तथा मेरा मोबाइल तथा गाड़ी की चाबी जबरदस्ती अपने कब्जे में ले ली। मुझे कहा गया कि साले अभी तुझे 151 में अंदर करते हैं। थाने में मुझे शुरू में बैठने तक के लिए नही कहा गया, जब मैं स्वयं एक रिक्त कुर्सी पर बैठा तो मुझे असभ्य एवं अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते हुए कुर्सी से उठा दिया गया। SHO द्वारा कहा गया कि साले तेरा breath analyzer से अल्कोहल टेस्ट करवाता हूँ। चूंकि मैं कभी शराब तथा किसी भी अन्य प्रकार का कोई नशा नही करता ..मैंने SHO से कहा कि मुझे कोई आपत्ति नही आप मेरा तुरंत प्रभाव से टेस्ट करवा लें। SHO एवं उनके स्टाफ द्वारा 3 बार मेरा उक्त टेस्ट किया गया जिसमें 0 रीडिंग ही आयी। प्राप्त रिपोर्ट पर मेरे द्वारा हस्ताक्षर एवं समय , दिनांक आदि अंकित कर दी गयी। जब मैंने सम्बद्ध पुलिस कर्मियों से यह कहा कि कानून सब के लिए समान होता है आप उस व्यक्ति का जी पूरी तरह शराब के नशे में चूर था उसका भी अल्कोहल टेस्ट करवाइये। मेरे द्वारा अनेकों बार कहने के उपरांत भी उसका टेस्ट नही करवाया गया तथा अत्यन्त अशिष्ट भाषा में पुलिस कर्मियों ने यह कहा कि तू हमें कानून मत सिखा। अंत में अनेकों बार कहने के उपरांत SHO द्वारा एक अन्य व्यक्ति का अल्कोहल टेस्ट करवा कर रिपोर्ट 0 दे दी गयी। असल मुजरिम जो शराब के नशे में चूर था तथा जिसने मेरे ऊपर पिस्तौल तानी थी उसका अल्कोहल टेस्ट नही करवाया गया। मालवीयनगर में ही मेरी बड़ी बहिन डॉ सुप्रिया घीया वरिष्ठ gynecologist हैं तथा उनका घीया अस्पताल स्थित है तथा जीजा CA हैं। समस्त घटना क्रम के सुनते ही वे दोनों भी तुरंत थाने पहुंचे.. जहाँ पुलिस वालों द्वारा उनके साथ भी अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया। रात 12. 30 बजे जयपुरिया अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में नियुक्त चिकित्सकों द्वारा दोनों पक्षों का फौरी तौर पर मेडिकल किया गया.. परंतु मेडिकल जूरिस्ट ना होने के कारण वो समस्त प्रक्रिया आज पूर्ण हुई। मैं इस संदेश के माध्यम से संघ के माननीय अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि मैं शारीरिक एवं मानसिक रूप से अत्यंत पीड़ित एवं दहशत ज़दा हूँ। कल से मैं अपनी बहिन के घर पर ही हूं तथा प्रतिपक्ष द्वारा किसी भी वारदात को अंजाम दिया जा सकता है। समाचार पत्रों में समस्त मिथ्य एवं भ्रामक समाचारों का भी प्रकाशन किया गया जो कि मेरी सामाजिक एवं कार्यालिक छवि के लिए अत्यंत गंभीर है। मैं मानसिक एवं शारीरिक रूप से अवसाद ग्रस्त हूँ। अगर पुलिस का यह रवैया सुपर टाइम स्केल के अधिकारी के साथ है तो आम फरियादियों की तो सोच कर ही रूह कांप उठती है। मैंने जीवन में कभी मद्यपान अथवा अन्य कोई नशा नही किया तथा अत्यन्त आत्मानुशासित जीवन व्यतीत किया है। अतः मेरी इस उत्पीड़ित अवस्था से संघ स्तर पर यथा योग्य प्रयास किये जायें तथा मेरी जान की सुरक्षा की भी उचित स्तर पर वार्ता कर यथेष्ट किया जाए। हार्दिक धन्यवाद : आशुतोष गुप्ता, विशिष्ट सहायक, सरकारी उप- मुख्य सचेतक, विधान सभा, जयपुर।
एस.पी.मित्तल) (21-07-17)
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