पाकिस्तान में फिर से सैनिक शासन का खतरा। भारत पर भी पड़ेगा असर। ————

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28 जुलाई को पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। नवाज के पद छोड़ते ही पाकिस्तान में एक बार फिर सैनिक शासन का खतरा उत्पन्न हो गया है। हालांकि पूर्व में जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा किया था। लेकिन अब यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों में जबरदस्त खींचतान है। नवाज शरीफ की पार्टी में भी बिखराव के हालात हैं। ऐसे में कट्टरपंथियों के हावी होने की संभावना ज्यादा है। पाकिस्तान में हमेशा ही सेना की रुचि देश में शासन करने की रही है। सैनिक शासन में ही पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकर भुट्टो को फंासी के तख्ते पर लटकाया गया तो मुशर्रफ के सैनिक शासन में भुट्टो की बेटी बेनजीर को एक विस्फोट में उड़ा दिया गया। पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी इस तरह हावी हैं जिनका सरकार भी कोई समाधान नहीं कर सकती हैं। यदि पाकिस्तान में सैनिक शासन लागू होता है तो यह भारत के लिए मुसीबत होगी। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई सरकार फिर भी भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करती है, लेकिन सैनिक शासन में तो दोनों देशों के बीच हालात तनापूर्ण हो जाते हैं। जनरल परवेज मुशर्रफ ने ही भारत पर कारगिल युद्ध थोपा था। अच्छा हो कि पाकिस्तान में राजनीतिक प्रक्रिया के तहत ही किसी सरकार का गठन हो। चूंकि नवाज शरीफ के परिवार के सभी सदस्यों को भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी माना गया है, इसलिए अब शरीफ परिवार का कोई भी सदस्य प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। हालंाकि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ प्रधानमंत्री की दोड़ में सबसे आगे हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में आसिफ कितने दिन सरकार चला पाएंगे, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
एस.पी.मित्तल) (28-07-17)
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