तो वर्णिका एक नेता के बेटे से नहीं मजबूत सत्ता से टकरा रही है। मोदी और शाह को करना चाहिए हस्तक्षेप।
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आमतौर पर जब भी किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ की घटना होती है तो वे अपने परिवार की इज्जत की खातिर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाती। कभी कभार कोई लड़की हिम्मत दिखा कर थाने पहुंच भी जाती है तो पुलिस वाले समझौता करवा देते हैं, लेकिन हरियाणा की बहादुर लड़की वर्णिका ने तय किया है कि वह बदतमीज युवक विकास बराला को सबक सिखा कर ही रहेंगी। 7 अगस्त को वर्णिता न केवल न्यूज चैनलों पर आई बल्कि अपनी फेसबुक पर फोटो भी पोस्ट कर दिलेरी का परिचय दिया। वर्णिका ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपराधी युवक का पिता सुभाष बराला हरियाणा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष है। देश में कानून सबके के लिए बराबर है। पुलिस ने विकास बराला को बचाने के लिए अपहरण जैसे धाराएं हटा दी, लेकिन वे पुलिस की इस करतूत को भी अदालत में चुनौती देगी। वर्णिका ने सवाल उठाया कि मैं अपना चेहरा क्यों छिपाऊ? मुंह छिपाने की जरुरत तो बराला को है, जिसने लड़कियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि वर्णिका ने बहादुरी दिखाई है। लेकिन यह भी सब जानते हैं कि सत्तारुढ़ पार्टी का नेता होने की वजह से वर्णिका के मामले को दबाया जा रहा है। इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का बयान दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा, खट्टर का कहना है कि बेटे की गलती की सजा उसके पिता को नहीं दी जा सकती। लेकिन खट्टर को यह समझना चाहिए कि बेटे ने लड़कियों को छेडऩे की जो हिमाकत की उसके पीछे पिता की ताकत ही रही। यदि बेटे को सत्ता का नशा नहीं होता तो इस तरह सरे आम किसी लड़की की कार के आगे अपने कार न लगाता। इस मामले में हरियाणा पुलिस का रवैया भी अपराधी को बचाने वाला है। आरोप है कि घटने वाले मार्ग के छह सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को पुलिस ने गायब कर दिया। ताकि अपराधी बराला को बचाया जा सके। चूंकि मुख्यमंत्री और हरियाणा पुलिस का नजारिया उजागर हो चुका है इसलिए अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह को कोई हस्तक्षेप करना चाहिए। भाजपा के शीर्ष नेता माने या नहीं, लेकिन इस प्रकरण से भाजपा की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जब हरियाणा में सरकार की ओर से बेटी बचाओ का अभियान चलाया जा रहा हो, तब इस तरह बेटियों को सरेआम छेड़छाड़ करना यह दर्शाता है कि सरकार का दोहरा चरित्र है। यूं तो सुभाष बराला को नैतिकता के आधार पर ही इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन बराला ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जाए। भाजपा इस मामले में जितना विलम्ब करेगी उतना विपक्षी दलों को फायदा होगा। अच्छा हो की नुकसान से पहले ही बराला को बर्खास्त कर दिया जाए। इससे समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।
भाजपा में ही विरोध:
विकास बराला की बदतमीजी को लेकर अब भाजपा में ही विरोध शुरू हो गया है। भाजपा के सांसद सुब्रह्मणयम स्वामी ने कहा है कि चडीगढ़ पुलिस ने इस मामले को दबाने की कोशिश की है, इसको लेकर वे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करेंगे। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है। वहीं कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने मांग की है कि सुभाष बराला को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने माना कि इससे भाजपा की छवि खराब हो रही है।
एस.पी.मित्तल) (07-08-17)
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