35 बच्चों की मौत के लिए तो योगी सरकार ही जिम्मेदार है। विपक्ष तो राजनीतिक करेगा ही।

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यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ और डिप्टी सीएम सिद्धार्थनाथ सिंह कल्पना करें कि यदि इस समय मायावती या अखिलेश यादव सीएम होते तो गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में हुई 35 बच्चों की मौत पर भाजपा क्या करती? क्या इन मौतों के लिए भाजपा मायावती या अखिलेश सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराती? राजनीति का चरित्र ही ऐसा है कि जो पार्टी सत्ता में होती है, उसे ही कमियों के लिए ही दोषी ठहराया जाता है। इसलिए 35 बच्चों की मौत की जिम्मेदार यूपी की योगी सरकार ही है। अब बचाव में कुछ भी कहा जाए, लेकिन योगी सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे शर्मनाक बात 9 अगस्त को सीएम के गोरखपुर दौरे की रही। सीएम ने इसी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था का जायजा भी लिया, लेकिन कॉलेज के किसी भी चिकित्सा अधिकारी ने सीएम को यह नहीं बताया कि 4 अगस्त से ही कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद है। यह भी नहीं बताया कि बजट के अभाव में ऑक्सीजन करने वाली फर्म को बकाया 68 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया है। इससे प्रति होता है कि सीएम के आने पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधिकारियों ने सिर्फ लीपापोती का काम किया। ऐसी कोई बात उजागर नहीं होने दी, जिससे सीएम नाराज होते। उम्मीद तो यही थी कि योगी के सीएम बनने के बाद यूपी के बिगड़े प्रशासनिक ढांचे में बदलाव होगा। लेकिन गोरखपुर के अस्पताल में 35 बच्चों की मौत यह बताती है कि व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है। क्या सीएम के नाते योगी को उन चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही नहीं करनी चाहिए जिन्होंने ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने के बारे में नहीं बताया? यदि 9 अगस्त को ही ऑक्सीजन की सप्लाई के बारे में सीएम को बता दिया जाता तो संबंधित सप्लायर को बकाया भुगतान हो जाता। ऑक्सीजन के सिलेंडर सप्लाई करने वाली फर्म के मैनेजर मनीष भंडारी का कहना है कि फर्म बकाया भुगतान के लिए 100 बार पत्र लिखे, लेकिन बकाया भुगतान नहीं हुआ। जब बच्चों की मौत हो गई तब 11 अगस्त को 52 लाख रुपए की राशि चुपचाप बैंक खाते में डाल दी। सीएम योगी माने या नहीं लेकिन यूपी में निचले स्तर पर काम काम में कोई सुधार नहीं हुआ है।
समझ में नहीं आता कि अब योगी सरकार किस जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है? सरकार को चाहिए की दोषी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही करें और पीडि़त परिवारों को समुचित मुआवजा दिलवाएं। योगी को यह बताना होगा कि उनकी सरकार बसपा और सपा से अलग है। यदि ऑक्सीजन के अभाव में 35 मासूम बच्चे दम तोड़े दें तो यह किसी भी सरकार के लिए कलंक हैं। जहां तक विपक्षी दलों के राजनीतिक करने का सवाल है तो विपक्ष तो राजनीति करेगा ही। विपक्ष की राजनीति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलामनबी आजाद ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का दौरा कर अस्पताल के डॉक्टरों को तुरंत क्लीन चिट दे दी। आजाद का कहना रहा कि इन मौतों के लिए डॉक्टर नहीं बल्कि राज्य की भाजपा सरकार जिम्मेदार है।
और अस्पताल में भी हो सकती हैं मौतें:
बदलते मौसम की वजह से इन दिनों पूर्व उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस रोग का प्रकोप है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी बच्चों की मौतों का सिलसिला शुरू हो जाए।
एस.पी.मित्तल) (12-08-17)
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