रेप के दोषी बाबा को दस वर्ष की सजा। धरे रह गए बाबा राम रहीम के पुण्य कर्म। इसे कहते हैं ईश्वर का न्याय।
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28 अगस्त को सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने रोहतक की सुनारिया जेल में ही डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम को दस वर्ष की सजा सुनाई। सजा सुनते ही बाबा रो पड़े और हाथ जोड़कर जज से रहम की अपील की। लेकिन इस रोने-धोने का जज पर कोई असर नहीं पड़ा। अब बाबा जेल से कब बाहर आएंगे इसका पता शायद भगवान को भी नहीं है। क्योंकि बाबा पर एक नहीं कई मुकदमें है। इसमें हत्या के मुकदमें भी शामिल हैं। यह वो ही राम रहीम है जिनके चरणों में बड़े-बड़े राजनेता सिर झुकाते थे, आज वो ही बाबा एक एडीजे स्तर के जज के सामने सिर झुकाएं खड़े रहे। राम रहीम स्वयं को भगवान का अवतार मानते हो, लेकिन अदालत के फैसले से जाहिर है कि राम रहीम पर अब ईश्वर की कृपा नहीं रही है। इसलिए उनके द्वारा किए गए पुण्य के कार्य भी धरे रह गए। सब जानते हैं कि बाबा के समर्थकों ने रक्तदान, सफाई, नशामुक्ति आदि के क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लेकिन आज एक भी पुण्य कार्य बाबा के काम नहीं आया। शायद बाबा ने पुण्य से ज्यादा पाप किए इसीलिए जब पाप का घड़ा भर गया तो ऊपर से ईश्वर की कृपा हट गई। जो लोग पाप करने के साथ-साथ पुण्य के कार्य करते हैं। उन्हें राम रहीम के जेल जाने से सबक लेना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप अपने पापों पर पुण्य के कार्यों का पर्दा डाले लें, भले ही पुण्य के कार्यों का फल मिले या नहीं, लेकिन पापों की सजा इसी जन्म में भुगताना पड़ती है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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