तो क्या अजमेर के भाजपा के विधायक अपनी नाकामी अफसरों पर डालेंगे ? ऊर्जा मंत्री के सामने तो ऐसा ही दिखाया। =

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राजस्थान पत्रिका के 2 सितंबर के अजमेर संस्करण में पृष्ठ 2 पर ‘‘यहीं हाल रहा तो हम क्या मुंह दिखाएंगे’’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई है। यह खबर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत की जनसुनवाई से जुड़ी हुई है। राणावत ने 30 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक अजमेर में ही रहकर जनसुनवाई की। पत्रिका की खबर में बताया गया कि अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी, दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल और पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत ने बिजली से जुड़ी समस्याओं के लिए डिस्काॅम के एमडी महिराम विश्नोई को जिम्मेदार ठहराया। इन भाजपा विधायकों का ऊर्जा मंत्री के सामने कहना रहा कि हम लोग जो काम बताते हैं, वे काम डिस्काॅम के इंजीनियर करते नहीं है। जब एमडी को शिकायत की जाती है तो उनका रूख जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करना होता है। यानि इन तीनों विधायकों ने जन समस्याओं के लिए एमडी को जिम्मेदार ठहराया दिया। सब जानते हैं कि देवनानी और भदेल स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री हैं और रावत संसदीय सचिव रहते हुए मंत्री की सुविधा भोग रहे हैं। यानि यह तीनों विधायक सरकार के अंग हंै। सवाल उठता है कि यदि एमडी विश्नोई इन मंत्रियों की सुन नहीं रहे हैं तो फिर अब तक ये मंत्री चुप क्यों रहे ? अब जब अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने जा रहे हैं तब अपनी नाकामी को ये विधायक अफसरों पर डाल रहे हैं। अच्छा होता कि भाजपा के तीनों विधायक अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पहले ही लोगों को राहत प्रदान कराते। यह माना कि एमडी विश्नोई का व्यवहार अच्छा नहीं है और वे आम उपभोक्ता से भी बदतमीजी करने से बाज नहीं आते हैं। लेकिन एमडी के इस व्यवहार की जिम्मेदारी भी अजमेर के इन तीनों विधायकों की है। क्या कभी इन तीनों विधायकों ने एकजुट होकर एमडी से संवाद किया ? या फिर एमडी की शिकायत सीएम राजे से की ? जब एमडी विश्नोई कहना नहीं मान रहे हैं तो फिर उन्हें हटवाया क्यों नहीं जाता ? जनता सब समझती है। सिर्फ अफसरों को जिम्मेदार ठहरा कर भाजपा के विधायक अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
स्टोर में सामान ही नहीं हैं:
भाजपा के विधायक विद्युत कनेक्शन नहीं देने के लिए एमडी विश्नोई को तो जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि डिस्काॅम के स्टोर में बिजली कनेक्शन के काम आने वाली सामग्री ही नहीं है। डिस्काॅम को सामग्री दिलवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। यदि इस मामले में एमडी दोषी हैं तो उनके विरूद्व कार्यवाही करवानी चाहिए। इन विधायकों को यह पता लगाना चाहिए कि आखिर सहायक अभियंता के स्टोर में कनेक्शन देने की सामग्री क्यों नहीं है ?
सतर्क रहें दूसरे विभाग:
भाजपा के विधायकों ने बिजली की समस्याओं के लिए जिस प्रकार डिस्काॅम के एमडी को जिम्मेदार ठहरा दिया, उसी प्रकार अन्य समस्याओं के लिए भी संबंधित विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अब चूंकि लोकसभा के उपचुनाव में अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार को जितवाने की जिम्मेदारी इन विधायकों पर आ पड़ी है इसलिए ये विधायक अभी से ही अपनी नाकामी अफसरों पर डाल रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (03-09-17)
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