क्या विधायकों की उपस्थिति में सीएम के सामने विधानसभा क्षेत्र की असलीयत सामने आ सकेगी? अजमेर में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीएम का सीधा संवाद।

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अजमेर में होने वाले लोकसभा उपचुनाव को देखते हुए राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे 5 से 7 अक्टूबर तक अजमेर में ही हैं। सीएम ने 5 अक्टूबर को अजमेर संसदीय क्षेत्र के किशनगढ़ और 6 अक्टूबर को पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। सीएम 7 अक्टूबर को अजमेर उत्तर क्षेत्र के प्रतिनिधियों से फाॅयसागर रोड स्थित हंस पेराडाइज समारोह स्थल पर मिलेंगी। 6 अक्टूबर को भी सीएम ने जयपुर रोड स्थित पैराडिजो रिसोर्ट में दिनभर पुष्कर क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। आगामी दिनों में सीएम शेष पांच विधानसभा क्षेत्रों में भी इसी तरह राज दरबार लगाकर लोगों से मिलेंगी। इस कवायद के पीछे सीएम का मकसद शासन प्रशासन की खामियों को दूर करना है। ताकि उपचुनाव जीता जा सके। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस तरह के दरबार लगाने से समस्याओं का समाधान होगा? सीएम अपने साथ संबंधित क्षेत्र के भाजपा विधायक को भी बैठा रही हैं। इसी प्रकार भाजपा के जिला अध्यक्ष और संबंधित विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी मंत्री भी हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि संबंधित लोग विधायक अथवा प्रशासन की बुराई कैसे करेंगें? सीएम माने या नहीं लेकिन अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के प्रति नाराजगी का मुख्य कारण विधायकों का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ही है। यदि समाज के किसी प्रतिनिधि ने मुख्यमंत्री को विधायक की शिकायत कर दी तो फिर उस व्यक्ति की खैर नहीं है। सीएम राजे तो एक-दो दिन में अजमेर से चली जाएंगी, लेकिन क्षेत्र का विधायक तो वहीं रहेगा। अच्छा हो कि सीएम राजे जब लोगों से सीधा संवाद करें तो विधायकों को साथ न रखा जाए।
स्वयं को चमकाने में लगे हैं विधायकः
हालांकि सीएम का मकसद क्षेत्र की असलियत जानना है, लेकिन 6 अक्टूबर के हालात बताते है। कि विधायकों ने सीएम के सामने स्वयं की छवि को चमकाने का ही प्रयास किया है। 5 अक्टूबर को किशनगढ़ में और 6 को पुष्कर के विधायक क्रमशः भागीरथ चैधरी और सुरेश सिंह रावत ने सुनवाई स्थल पर ही अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की प्रदर्शनी लगवाई। प्रदर्शनी को दिखा कर इन दोनों विधायकों ने अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की। सवाल उठता है कि यदि विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में वाकई में इतने काम कराए हैं तो फिर सीएम को चुनाव से पहले विधानसभा वार समाज के प्रतिनिधियों से क्यों मिलना पड़ रहा है?
जाहिर है कि विधायकों की कथनी और करनी में अंतर है। सुरेश रावत विकास के चाहे जितने दावे करं, लेकिन अजमेर से पुष्कर जाने वाली सड़क पुष्कर के लीला सेवड़ी क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से टूटी पड़ी हुई है। यह एक सड़क ही नहीं सम्पूर्ण विधानसभा क्षेत्र की दुर्दशा बता रही है। हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ पुष्कर के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि सीवरेज का गंदा पानी पवित्र सरोवर में चला गया। अब आनन-फानन में योजनाएं बनाई जा रही हैं। जिस सरोवर में सीवरेज का पानी गया उसी सरोवर के किनारे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के परिवार का ग्वालियर घाट भी है। इस घाट पर राजे परिवार का ऐतिहासिक शिव मंदिर भी बना हुआ है। यदि पवित्र सरोवर की धार्मिक मर्यादा का जरा सा भी ख्याल होता तो कम से कम सरोवर को सीवरेज के पानी से तो बचाते।
एस.पी.मित्तल) (06-10-17)
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