राजपूत समाज को लेकर बेहद चिंतित है राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे। देवनानी के विरोध के बाद भी लगवाए शेखावत के बैनर। पुष्कर की बैठक में समाज की एकता पर बल। ========
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर के लोकसभा के प्रस्तावित उपचुनाव के मद्देनजर 7 अक्टूबर को अजमेर के फाॅयसागर रोड स्थित एक समारोह स्थल में उत्तर विधानसभा क्षेत्र के लोगों से जनसंवाद किया। तीन दिवसीय दौरे का आज अंतिम दिन रहा। पुष्कर, किशनगढ़ और आज दक्षिण विधानसभा क्षे. की जनसंवाद में मुख्यमंत्री की सबसे ज्यादा चिंता राजपूत समाज की नाराजगी को लेकर रही। क्षेत्रीय विधायकों की लाख कोशिश के बाद भी राजपूत समाज के प्रमुख प्रतिनिधि सीएम राजे से मिलने नहीं आए। नाराजगी इतनी है कि राजपूत प्रतिनिधियों ने अपने नाम के बैनर पोस्टर भी लगावाने से इंकार कर दिया। सीएम राजे इन हालातों को अच्छी तरह समझ रही है इसलिए 7 अक्टूबर को उत्तर विधानसभा क्षेत्र में जनसंवाद स्थल के बाहर सुरेन्द्र सिंह शेखावत के नाम के बैनर लगवाए गए। हालांकि समारोह स्थल के प्रवेश द्वार पर शेखावत के बैनरों का भाजपा के क्षेत्रीय विधायक प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने विरोध किया। लेकिन देवनानी को उस समय खून का घूट पीना पड़ा, जब कहा गया कि शेखावत के बैनर लगाने के आदेश ऊपर (संभवतः सीएम) से हैं।
असल में मुख्यमंत्री की छवि को निखारने में लगे लोगों की यह मजबूरी है कि उन्हें शेखावत के बैनर लगवाने पड़ रहे हैं। शेखावत के अतिरिक्त मुख्यमंत्री के पास अजमेर में कोई बड़ा राजपूत नेता नहीं है। शेखावत हाल ही में पुनः भाजपा में शामिल हुए हैं। मुख्यमंत्री के अजमेर दौरे को लेकर जिस तरह राजपूत समाज एकजुट हुआ है उससे शेखावत भी आश्चर्य चकित हैं। क्योंकि अब उन्हें अपने ही समाज में आलोचना सहनी पड़ रही है। यह बात अलग है कि शेखावत के बैनर मुख्यमंत्री के साथ लग गए हैं। असल में मुख्यमंत्री राजे यह नहीं चाहती कि उनकी छवि राजपूत विरोधी बने। राजे स्वयं इसी समाज से हैं, लेकिन आनंदपाल एनकाउंटर और अन्य कारणों से राजपूत समाज इन दिनों सीएम से दूरी बनाए हुए है जो गिने चुने राजपूत नेता सीएम राजे के साथ हैं उनसे बार-बार हजारों राजपूत लड़कों के जेलों में बंद होने के बारे में पूछा जा रहा है। मालूम हो कि समाज के हजारों युवक पिछले आंदोलन के समय से ही जेलों में बंद हैं। आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच भी अभी तक शुरू नहीं हुई है।
मैं तो समाज की बेटी हंू-सीएम राजेः
जनसंवाद के कार्यक्रम में राजपूत समाज के एक प्रतिनिधि मंडल ने भी सीएम राजे से मुलाकात की। राजपूत समाज के प्रतिनिधि मंडल से सीएम ने कहा कि मैं तो समाज की बहन-बेटी हंू, लेकिन समाज के कुछ लोग मेरा सम्मान नहीं करते। पिछले दिनों जो आंदोलन हुआ उसमें अनेक लोग एक अपराधी के साथ खड़े नजर आए, जबकि उन्हें मेरे साथ होना चाहिए था। बार-बार ये कहा जा रहा है कि आनंदपाल के प्रकरण में 12 हजार मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी गांव की घटना पर क्या 12 हजार मुकदमे दर्ज हो सकते हैं? उन्होंने कहा कि समाज के ही कुछ लोग यह बताना चाहते हैं कि राजपूत समाज भाजपा से नाराज है। जबकि आप लोगों की उपस्थिति बताती हैं कि समाज भाजपा के साथ है। जिस अंदाज में सीएम ने अपनी बात रखी उसके जवाब में राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य और अजमेर युवा मोर्चे की पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजपूत समाज पूरी तरह आपके साथ है। आपने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए समाज की भलाई के लिए अनेक कार्य किए हैं। 7 अक्टूबर को राजपूत समाज के जिन लोगों ने सीएम से मुलाकात की उनमें अधिकांश भाजपा से जुड़े हुए थे, इनमें भाजपा के पार्षद राजेन्द्र सिंह राठौड़, पंचायत समिति सदस्य दरियाव सिंह, शरीरिक शिक्षक शक्ति सिंह आदि शामिल थे।
यादव और देवनानी में भी विवादः
जानकार सूत्रों के अनुसार 7 अक्टूबर को उत्तर क्षेत्र के जनसंवाद कार्यक्रम में शहर भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव और विधायक देवनानी के बीच भी जोरदार विवाद रहा। यादव इस बात से खफा दिखे कि देवनानी ने मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए जगह-जगह जो बैनर लगवाए उससे उनका (यादव) फोटो नहीं है। इसी प्रकार देवनानी इसलिए खफा रहे कि यादव ने शहर भाजपा की ओर से सरकार की योजनाओं को लेकर जो स्मारिका प्रकाशित की है उसमें उनका (देवनानी) फोटो नहीं है। इस स्मारिका का विमोचन भी सीएम राजे ने आज ही किया।
पुष्कर में हुई राजपूत समाज की बैठकः
7 अक्टूबर को ही पुष्कर में राजपूत सेवासदन (जयमल कोट) में जयमल जयंती के उपलक्ष में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में जस्टिस करणी सिंह राठौड़, लोकसेवा आयोग के सदस्य शिव सिंह राठौड़, कल्याण सिंह, मेघराज सिंह राॅयल, भूपेन्द्र सिंह राठौड़, भंवर सिंह पलाड़ा, सुरेन्द्र सिंह शेखावत, जैसे समाज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। यह बैठक संत समताराम जी महाराज के सान्निध्य में हुई। इस बैठक में सर्व सम्मिति से यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के वर्तमान हालातों में राजपूत समाज की एकता जरूरी है। बैठक में यह कहा गया कि कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ, लेकिन उसकी पहली प्रथमिकता समाज की एकता के लिए होनी चाहिए। राजनीति से जुड़े राजपूत नेताओं से भी कहा गया कि यदि समाज में एकता रही तो उनका महत्व उनके दल में भी रहेगा। किसी भी नेता को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे समाज की एकता कमजोर होती हो।
एस.पी.मित्तल) (07-10-17)
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