तो डाॅक्टरों ने चिकित्सा मंत्री सराफ और आईएएस अफसरों को बेवकूफ बना दिया। 10 हजार सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के बाद सेना और रेलवे के चिकित्सकों की लेनी पड़ी मदद।
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तो डाॅक्टरों ने चिकित्सा मंत्री सराफ और आईएएस अफसरों को बेवकूफ बना दिया। 10 हजार सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के बाद सेना और रेलवे के चिकित्सकों की लेनी पड़ी मदद।
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5 नवम्बर को आधीरात को प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ और चिकित्सा महकमे से जुड़े अनेक आईएएस अफसर इस बात से खुश हो रहे थे कि अब 6 नवम्बर को प्रदेश के 10 हजार सेवारत चिकित्सक हड़ताल पर नहीं जाएंगे। इस आशय की खबर रात को ही दैनिक भास्कर में दे दी गईं, लेकिन राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे 6 नवम्बर की सुबह उस समय भांैचक्की रह गई, जब सेवारत चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं आए। सीएम को सुबह ही अहसास हो गया कि डाॅक्टरों ने उनके मंत्री और आईएएस अफसरों को बेवकूफ बना दिया है। यही वजह रही कि सीएम ने सुबह ही जिला कलेक्टरों को निर्देश भिजवाए कि वे सेना, रेलवे और आयुर्वेद विभाग के चिकित्सकों की मदद लें तथा जो निजी अस्पताल भामाशाह योजना में पंजीकृत हैं, वहां मरीजों को रैफर किया जाए। लेकिन सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था बद से बदतर हो गई। हड़ताल पर गए चिकित्सकों का कहना है कि उन्हें पिछले दो वर्ष से बेवकूफ बनाया जा रहा था। सरकार समझौता कर मुकर गई। हर बार चिकित्सक ही बेवकूफ बने, लेकिन यह पहला मौका रहा कि जब सेवारत चिकित्सक बेवकूफ नहीं बने। हालांकि सरकार ने रेस्मा लगा कर अनेक डाॅक्टरों की गिरफ्तारी की है, लेकिन यह गिरफ्तारी कानूनन कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि हमने सामूहिक इस्तीफे दिए हैं। जब हमने नौकरी ही छोड़ दी तो फिर किस कानून में कार्यवाही हो सकती है। सरकार जिन हालातों में नौकरी करवाना चाहती है उसमें तो नौकरी नहीं करना ही बेहतर है।
रेजीडेंट डाॅक्टरों ने भी जताया समर्थनः
सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल का प्रदेशभर के रेजीडेंट डाॅक्टरों ने भी समर्थन किया है। 6 नवम्बर को रेजीडेंट डाॅक्टरों ने प्रदेश में प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव डाला। रेजीडेंट डाॅक्टरों ने भी काम के बहिष्कार की चेतावनी दी है।
हालात बिगड़ेः
एक साथ 10 हजार चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने से प्रदेशभर में चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई है। शहरी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ केन्द्र तक बंद हो गए हैं। मेडिकल काॅलेज से जुड़े सरकारी अस्पतालों के हालात रेजीडेंट डाॅक्टरों की वजह से ठीक रहे, लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या को देखते हुए हालात नियंत्रण से बाहर रहे।
एस.पी.मित्तल) (06-11-17)
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