सेवारत चिकित्सकों के समर्थन में रेजीडेंट डाॅक्टरों ने भी शुरू की हड़ताल। राजस्थान में चैथे दिन भी दम तोड़ते रहे मरीज। सीएम वसुंधरा राजे ने बहरोड में किया चुनावी जनसंवाद। ======

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सेवारत चिकित्सकों के समर्थन में रेजीडेंट डाॅक्टरों ने भी शुरू की हड़ताल। राजस्थान में चैथे दिन भी दम तोड़ते रहे मरीज। सीएम वसुंधरा राजे ने बहरोड में किया चुनावी जनसंवाद।
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राजस्थान के 10 हजार सेवारत चिकित्सक 9 नवम्बर को लगातार चैथे दिन भी हड़ताल पर रहे। 9 नवम्बर को दोपहर बाद से ही सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात तब और बिगड़ गए जब रेजीडेंट डाॅक्टर भी हड़ताल पर चले गए। रेजीडेंट डाॅक्टरों ने आरोप लगाया है कि सेवारत चिकित्सकों के शांतिपूर्ण आंदोलन को राज्य सरकार कुचलना चाहती है। रेजीडेंट डाॅक्टरों के हड़ताल पर चले जानेे से राजस्थान में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सरकारी अस्पतालों में इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। दमतोड़ने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात इतने खराब हैं कि अस्पतालों में लोग दर्द से कराह रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। नर्सिंग कर्मचारियों ने भी अपने वेतनमानों को लेकर हड़ताल पर जाने की धमकी दे दी है। हालांकि सरकार ने इस हड़ताल से निपटने के लिए निजी अस्पतालों की मदद ली है, लेकिन मरीजों की संख्या को देखते हुए यह प्रयास सफल नहीं हो रहा है। फिलहाल उन्हीं निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है जो राज्य सरकार की भामाशाह योजना में पंजीकृत हैं। चूंकि भामाशाह योजना के अंतर्गत इलाज का शुल्क बहुत कम है, इसलिए प्राइवेट अस्पताल कोई ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। सेवारत और रेजीडेंट डाॅक्टरों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों के वार्ड खाली हो गए हैं। 9 नवम्बर को सरकार की ओर से वार्ता का कोई प्रयास नहीं किया गया इसलिए दिनभर असमंजस बना रहा। सरकार अखबारों में विज्ञापन देकर हड़ताली डाॅक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करने की धमकी दे रही है, लेकिन अभी तक भी किसी भी डाॅक्टर के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है। सरकार को भी इस बात का डर था कि यदि सेवारत चिकित्सकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही की गई तो रेजीडेंट डाॅक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे, लेकिन सरकार का यह डर भी आज समाप्त हो गया, क्योंकि रेजीडेंट डाॅक्टर भी हड़ताल पर चले गए। अब देखना होगा कि सरकार हड़ताली डाॅक्टरों के विरुद्ध क्या कदम उठाती है। यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी डाॅक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित कर रखा है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों को जो नोटिस दिया था, उसका भी कोई असर नहीं हुआ है।
सीएम ने किया जनसंवादः
एक ओर राजस्थान भर में चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है और मरीज लगातार दम तोड़ रहे हैं। वहीं सीएम वसुंधरा राजे ने 9 नवम्बर को अलवर जिले के बहरोड में जनसंवाद किया। यह जनसंवाद अलवर में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव के मद्देनजर किया गया। सीएम ने अपने जनसंवाद में बहरोड विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। सीएम राजे उपचुनाव के मद्देनजर विधानसभा स्तर पर जनसंवाद कर रही हैं। जनसंवाद में सीएम राजे का कहना रहा कि वे आम जन की समस्याओं के समाधान के लिए बेहद गंभीर हैं। लेकिन सीएम ने डाॅक्टरों की हड़ताल के बारे में कुछ भी नहीं कहा।
सीएम ने नहीं की है बातः
भले ही पूरे राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई हो, लेकिन अभी तक भी सीएम वसुंधरा राजे ने चिकित्सकों से कोई वार्ता नहीं की है। डाॅक्टरों के प्रतिनिधि बराबरा आग्रह कर रहे हैं कि सीएम राजे वार्ता कर आश्वासन दे दे। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो रहा है। अभी तक की सभी वार्ताओं में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने भाग लिया है, लेकिन डाॅक्टरों के प्रतिनिधियों को सराफ के कथन पर भरोसा नहीं है। डाॅक्टर चाहते हैं कि जो बात सराफ कह रहे हैं वही बात सीएम कह दें तो वे काम पर लौटने को तैयार हैं।
एस.पी.मित्तल) (09-11-17)
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