अब ममता बनर्जी ने दिया फिल्म पद्मावती पर चिढ़ाने वाला बयान।
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अब ममता बनर्जी ने दिया फिल्म पद्मावती पर चिढ़ाने वाला बयान।
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पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन के समय पश्चिम बंगाल के सिनेमा घरों को पूर्ण सुरक्षा दी जाएगी। इतना ही नहीं बनर्जी ने फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली को भी अपने रज्य में फिल्म चलाने के लिए आमंत्रित किया है। बनर्जी के बयान से साफ जाहिर है कि वे सम्पूर्ण हिन्दू समाज को चिढ़ा रही हैं। जब पूरे देश में पद्मावती फिल्म का विरोध हो रहा है, तब एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। भले ही बंगाल में राजपूत समाज की संख्या कम हो, लेकिन ममता को यह तो पता ही है कि राजस्थान सहित देशभर में राजपूतों ने फिल्म के प्रदर्शन को अपने सम्मान से जोड़ रखा है। वैसे भी ममता बनर्जी एक जुझारू नेत्री हैं और बंगाल में 25 वर्षों के वामपंथी शासन को उखाड़ कर सीएम बनी हैं। ममता ने संघर्ष के दिनों में कई बार वामपंथियों से अपमान भी सहा है। यहां तक कि उनकी हत्या की भी कोशिश की गई। ऐसी जुझारू महिला यदि वीरांगना पद्मावती को लेकर जनभावना के विरुद्ध कोई बयान दे तो आश्चर्य होता है। ममता को यह समझना चाहिए कि चित्तौड़ की रानी पद्मावती कोई फिल्म की पात्र नहीं हो सकती, क्योंकि पद्मावती ने एक आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी और उसकी अत्याचारी सेना से बचने के लिए पद्मावती ने 16 हजार स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद कर जान दे दी। क्या ऐसी वीर महिला किसी फिल्म में मनोरंजन का साधन हो सकती है? संजय लीला भंसाली तो पैसा कमाने के लिए फिल्म के प्रदर्शन पर उतारू हैं। भले ही इस फिल्म को भारतीय सेंसर बोर्ड ने अनुमति न दी हो, लेकिन ब्रिटेन में अनुमति लेकर फिल्म प्रदर्शन की कोशश जारी है। जिस भंसाली को अपने देश के कानून की परवाह नहीं है, उसकी मानसिकता कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ममता बनर्जी का बयान भी ऐसे समय आया है, अब अभी सेंसर बोर्ड ने फिल्म को अनुमति नहीं दी है। जब फिल्म को अनुमति ही नहीं मिली है तो फिर भंसाली को पश्चिम बंगाल आने का निमंत्रण क्यों दिया जा रहा है? क्या ममता बनर्जी सिर्फ जनभावनाओं को चिढ़ाने वाला काम कर रही हैं? ममता बनर्जी को यह गलतफहमी है कि फिल्म पद्मावती को देखने से बंगाल के मुसलमान खुश हो जाएंगे। ममता को यह पता होना चाहिए कि अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु जैनुल आबेदीन ने एक बयान जारी कर इस फिल्म का विरोध किया है। दीवान आबेदीन ने मुसलमानों को भी आव्हान किया है कि वे राजपूत समाज से जुड़ कर फिल्म का विरोध करें।
एस.पी.मित्तल) (25-11-17)
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