आखिर क्या हो गया है अजमेर के भाजपा नेताओं को।
पानी बिजली की त्राहि-त्राहि पर भी चुप्पी क्यों?
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अजमेर के शहरी क्षेत्रों में तीन और चार दिनों में मात्र एक घंटे के लिए कम प्रेशर से पेयजल की सप्लाई की जा रही है। शहर की इस स्थिति से ग्रामीण क्षेत्रों के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। अजमेर जिले में पेयजल का मुख्य स्रोत 130 किलोमीटर दूर बीसलपुर बांध ही है। माना तो यही जाता है कि बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए हुआ था, लेकिन इसे अजमेर में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही कहा जाएगा कि आज बीसलपुर बांध से अजमेर को मात्र 250 एमएल पानी रोजाना मिल रहा है तो जयपुर को करीब 500 एमएल पानी प्रतिदिन बीसलपुर बांध से दिया जा रहा है। अजमेर के भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि चैबीस घंटे में पेयजल की सप्लाई होगी। अब जब साढ़े चार साल गुजर गए हैं तब मई माह में तीन चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। इतनी बुरी दशा में भी भाजपा का कोई जन प्रतिनिधि पेयजल की समस्या को नहीं उठा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि पम्पिंग स्टेशनों पर आए दिन खाली मटके फोड़ कर प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन भाजपा नेताओं की जुबान नहीं खुल रही है। सवाल ये भी है कि अजमेर की जनता ने भाजपा को दिल खोल कर समर्थन दिया। गत विधानसभा के चुनाव में जिले के सभी आठों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत करवाई। इतना ही नहीं मेयर, जिला प्रमुख, स्थानीय निकायों के अध्यक्षों, पंचायत समिति के प्रधानों आदि सभी पर भाजपा के नेताओं को बैठाया। आज हर महत्वपूर्ण पद पर भाजपा के नेता बिराजमान हैं। यूं पेयजल की समस्या के लिए भाजपा के नेता विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस को कोसते रहते थे। लेकिन पिछले साढ़े चार साल में भाजपा नेताओं ने कुछ भी नहीं किया। जबकि बीसलपुर बांध से जयपुर की सप्लाई लगातार बढ़ रही है। किसी भी भाजपा नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि वह अजमेर की पेयजल समस्या का मुददा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समक्ष रख सके। भाजपा के सात में से चार विधायक मंत्री स्तर की सुविधाएं भोग रहे हैं। इन मंत्रियों का काम सिर्फ एसी सरकारी गाड़ियों में इधर-उधर घुमना और अभी भी फीते काटना है। समझ में नहीं आता कि भाजपा के जनप्रतिनिधि कौन सी उपलब्धियां गिना रहे हैं। जब पेयजल की समस्या का निदान नहीं हुआ तो फिर दूसरे दावों में कितनी सच्चाई है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अजमेर शहर की बिजली व्यवस्था निजी कंपनी टाटा पावर को देने का काम भी भाजपा की सरकार में ही हुआ। आज अनियमित बिजली सप्लाई की वजह से पेयजल व्यवस्था भी गड़बड़ा रही है। लेकिन इसके बाद भी भाजपा का कोई नेता टाटा पावर कंपनी के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। टाटा पावर अपनी मनमर्जी से वितरण व्यवस्था कर रहा है। कंपनी पर कोई नियंत्रण नहीं है।