अजमेर के पानी इंजीनियर तो सीएम वसुंधरा राजे को झांसा दे चुके हैं।

अजमेर के पानी इंजीनियर तो सीएम वसुंधरा राजे को झांसा दे चुके हैं। कलेक्टर डोगरा कैसे दिलाएंगी रोजाना सप्लाई। कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा कब फोड़ेंगे मटके?

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अजमेर शहर की पेयजल व्यवस्था को सुधारने के लिए जिला कलेक्टर आरती डोगरा ने 17 मई को जलदाय विभाग के इंजीनियरों एवं पार्षदों की संयुक्त बैठक ली। हर कलेक्टर की तरह डोगरा ने भी इंजीनियरों को फटकार लगाई और रोजाना पेयजल सप्लाई के निर्देश दिए। कलेक्टर भी जानती हैं कि भीषण गर्मी में अजमेर शहर में दो तीन दिन में एक घंटे के लिए कम प्रेशर से सप्लाई हो रही है। इससे जिले भर में त्राहि त्राहि मची हुई है, जबकि पेयजल के मुख्य स्त्रोत बीसलपुर बांध में पानी की कोई कमी नहीं है। पेयजल की बिगड़ी व्यवस्था को लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी पानी इंजीनियरों की बैठक ली थी। इंजीनियरों ने मुख्यमंत्री को ही झांसा दे दिया। आज भी सप्लाई में कोई सुधार नहीं हुआ, इसलिए तो कलेक्टर को बैठक बुलानी पड़ी। जब पानी के इंजीनियर मुख्यमंत्री को झंसा दे सकते हैं तो कलेक्टर को अपनी बैठकों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। हर बार गर्मी के दिनों में ऐसी ही त्राहि त्राहि होती है। अजमेर में पानी महकमे में ऐसे कई इंजीनियर जमे बैठे हैं जिन्होंने कई कलेक्टरों को चलता कर दिया है। लेकिन वे अजमेर में ही जमे बैठे हैं। आरती डोगरा ने 15 दिन पहले ही कलेक्टर का पद संभाला है। डोगरा कुछ राहत ही देना चाहिती है। तो सप्लाई का समय निर्धारित करवा दें। बूंद-बूंद पानी को तरस रहे शहरवासी दिनभर टकटकी लगाए रहते है न जाने कब पानी आ जाए। महिलाएं तो घर से बाहर ही नहीं निकल पाती हैं। आरती डोगरा स्वयं महिला हैं, इसलिए महिलाओं की परेशानी समझती हैं। माना कि डोगरा अजमेर में बहुत कुछ करने की तमन्ना रखती हैं, लेकिन अजमेर की स्थिति कलेक्टर को धीरे-धीरे समझ आ जाएगी। विगत दिनांे जब सीएम ने बैठक ली थी तो इंजीनियरों ने सुझाव रख दिया कि नसीराबाद घाटी स्थित एसआर 7 पर पानी की एक और टंकी का निर्माण करवा लिया जाए। सीएम के कहने से पैसा भी स्वीकृत हो गया, जबकि एसआर 7 पर अतिरिक्त टंकी की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि वहां पहले से ही 100 एमएल क्षमता की टंकी है। वैसे भी वहां से पानी स्टोर करने के बजाए शहर की टंकियों में भेजा जाता है शहर में प्रतिदिनि 150 एमएल पानी चाहिए। व्यवस्था ठीक हो तो इसी टंकी में रोजाना 200 एमएल पानी का अदान प्रदान हो सकता है। कहने को तो अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि पानी की टंकियों का मीटर तक नहीं; कितना लीटर पानी सप्लाई होता है, इसका कोई माप नहीं है कितनी बार टंकी भरी, इससे माप होता है। पाइप लाइनों में कितने लीकेज हैं कि लाखों लीटर पानी तो जमीन में ही समा जाता है। जानकारों की माने तो करीब 46 प्रतिशत पानी की छीजत है। चंूकि उपभोक्ताओं से बिल पूरा लिया जाता है। इसलिए छीजत का आंकड़ा सामने नहीं आता। इसी छीजत में पानी की चोरी भी शामिल है। यदि कलेक्टर निर्धारित समय पर सप्लाई करवा दे तो भी राहत मिल जाएगी। रोजना सप्लाई की बात तो बेमानी है। यह बात अलग है कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इंजीनियर कागजों में 24 या 36 घंटे में सप्लाई दिखा सकते हैं। ऐसा प्रयास अधीक्षण अभियन्ता सतेन्द्र कुमार सिंह ने किया भी है। सिंह का दावा है कि शहर के 226 जोन में से 85 प्रतिशत रोजाना पेयजल की सप्लाई हो रही है।
कब फोड़ेंगे मटकेः
कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा ने एक शिष्टमंडल के साथ गत 7 मई को जिला कलेक्टर से मुलाकत की थी। इस मुलाकात के बाद मीडिया से संवाद करते हुए सांसद शर्मा ने पेयजल की किल्लत पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यदि सात दिनों मे ंहालात नहीं सुधरे तो कलेक्ट्रेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन कर मटके फोड़े जाएंगे। सांसद की इस धोषणा को 11 दिन हो गए और पेयजल के हालात अभी तक भी नहीं सुधरे हैं। सवाल उठता है कि सांसद शर्मा अपनी घोषणा के अनुरूप जब कलेक्ट्रेट पर पेयजल समस्या को लेकर कब प्रदर्शन करेंगे? उम्मीद है कि सांसद शर्मा को अपनी 11 दिन पुरानी घोषणा याद होगी। 7 मई वाला सांसद का वीडियो मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है।

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