गार्ड आॅफ आॅनर नहीं लेने की पहल अब सीएम और मंत्रियों को भी करनी चाहिए। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की अनुकरणीय पहल।
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राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने फैसला किया है कि वे किसी भी समारोह में परम्परांगत तरीके से गार्ड आॅफ आॅनर (सशस्त्र जवानों की सलामी) नहीं लेंगे। परंपरा है कि राज्यपाल जब राजधानी से बार जाते हैं, तब संबंधित जिले में गार्ड आॅफ आॅनर दिया जाता है। कल्याण सिंह ने जो पहल की है अब उसका राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और मंत्रियों को भी अनुसरण करना चाहिए। ऐसी परंपराएं सामंतों और अंग्रेजों के जमाने की हैं, अब लोकतंत्र है। जो सीएम और मंत्री जनता के वोट से चुने जाते हैं उन्हें गार्ड आॅफ आॅनर लेने में गर्व नहीं शर्म महसूस करनी चाहिए। ऐसे मंत्री माने या नहीं, जब जनता के सामने बेशर्मी का प्रदर्शन होता है तो फिर जनता को बहुत गुस्सा आता है। सवाल उठता है कि मुख्यमंत्रियों एवं मंत्रियों को सशस्त्र जवानों की सलामी क्यों दी जाए? इन्होंने ऐसा कौन सा कार्य किया है जिसकी वजह से यह सम्मान मिले। अंग्रेज और सामंत तो वाकई अपनी जनता को नीचा दिखाने के लिए सलामी लेते थे। क्या अब के मंत्री भी ऐसा कर रहे हैं? वैसे ही मंत्री और मुख्यमंत्री बनने के बाद संबंधित नेता घमंडी हो जाता है। सशस्त्र जवानों की सलामी तो सिर्फ उन जवानों को मिलनी चाहिए जिन्होंने देश के खातिर कुर्बानी दी है। मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के लाड़ले तो सेना में क्या एनसीसी में भी भर्ती नहीं होते।