तो दो बड़े डाॅक्टरों के अहम का खामियाजा भुगत रहे हैं अजमेर के मरीज।

तो दो बड़े डाॅक्टरों के अहम का खामियाजा भुगत रहे हैं अजमेर के मरीज। जेएलएन अस्पताल का बुरा हाल।
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अजमेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी जेएलएन अस्पताल के यूरोलाॅजी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. रोहित अजमेरा का कहना है कि यदि ऐनेस्थिसिया की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो वह और अधिक मरीजों के आॅपरेशन कर सकते हैं। चूंकि गर्मी के दिनों में यूरीन रोग के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसलिए उन्होंने पहले ही एक पत्र अस्पताल के प्रिंसिपल डाॅ. आरके गोखरू को लिख दिया था, लेकिन ऐनेस्थिसिया की सुविधा नहीं मिली। इसलिए वह सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को ही आॅपरेशन कर रहे हैं। इन दो दिनों में मात्र 20 मरीजों के ही आॅपरेशन हो जाते हैं। इसलिए मरीजों को आॅपरेशन के लिए सवा महीने बाद की तिथि दी जा रही है। अभी भी कोई 100 मरीज प्रतीक्षा में है। वहीं अस्पताल के प्रिंसिपल डाॅ. गोखरू ने कहा कि यदि डाॅ. अजमेरा व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर चर्चा करें तो यूरोलाॅजी विभाग में ऐनेस्थिसिया की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध करवा दी जाएगी। यानि डाॅ. गोखरू अपने अधीनस्थ डाॅ. अजमेरा के पत्र पर विचार नहीं करेंगे और न ही डाॅ. अजमेरा अपने विभाग में ऐनेस्थिसिया की सुविधा के लिए प्रिंसिपल से मिलेंगे। जाहिर है कि यह समस्या ऐनेस्थिसिया की सुविधा से ज्यादा दो बड़े डाॅक्टरों के अहम की है। जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। यह माना कि जेएलएन अस्पताल में आॅपरेशन से पहले मरीजों को बेहोशी की दवा देने वाले चिकित्सकों की कमी है। लेकिन यदि यूरोलाॅजी विभाग और प्रिंसिपल के बीच मरीजों के हित में तालमेल होता तो गर्मी के दिनों में अधिक मरीजों के आॅपरेशन हो सकते थे। यूरीन के रोग से आॅपरेशन के अभाव में मरीजों को कितना कष्ट सहना पड़ रहा होगा, इसका एहसास किसी को भी नहीं है। सब जानते है। कि डाॅ. अजमेरा गोखरू को जब अस्पताल का प्रिंसिपल बनाया गया था, तब सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने बहुत उम्मीद जताई थी। डाॅ. गोखरू भाजपा की वरिष्ठ नेता डाॅ. कमला गोखरू के पति है। स्वाभाविक है कि डाॅ. गोखरू को प्रिंसिपल बनाने में कमला गोखरू की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन ताजा घटनाक्रम में प्रतीत होता है कि डाॅ. गोखरू के प्रिंसिपल बनने से अजमेर के मरीजों को कोई फायदा नहीं हुआ है।
मंत्री देख रहे हैं तमाशाः
अजमेर के जेएलएन अस्पताल में जो हालात उत्पन्न हुए हैं, उन्हें शहर के दोनों मंत्री श्रीमती अनिता भदेल और वासुदेव देवनानी तमाशबीन बनकर देख रहे हैं। क्या इन दोनों मंत्रियों की यह जिम्मेदारी नहीं की यह अपने शहर के मरीजों के हित में ऐनेस्थिसिया की सुविधा उपलब्ध करवावे। जब आॅपरेशन के लिए मरीजों को इंतजार करना होता है, तब जल्द आॅपरेशन करवाने के लिए कौन से तौर तरीके अपनाए जाते हैं। यह सब को पता है। सवाल यह भी है कि जब डाॅ. अजमेरा प्रति सप्ताह 20 से भी ज्यादा आॅपरेशन करने को तैयार है, तो फिर ऐनेस्थिसिया की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं करवाई जा रही है? अच्छा हो कि मंत्री देवनानी और भदेल इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करें और मरीजों को राहत दिलवाए।
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